मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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अमेरिका में मानवाधिकार हनन, चीन चिंतित

अमेरिका में मानवाधिकार हनन, चीन चिंतित - Human Rights violation in america
पेइचिंग। चीन की स्टेट काउंसिल ने आज सात पेज की रिपोर्ट जारी की है जिसमें उसने अमेरिका में मानवाधिकारों की स्थिति 'लगातार गंभीर' होने पर चिंता जताई और कहा कि निकट भविष्य में इसमें किसी सुधार की कोई संभावना नहीं है। चीन का कहना है कि अमेरिका ने 'न तो इस पर तनिक भी अफसोस जाहिर किया' और न ही देश में 'मानवाधिकारों की भयावह स्थिति' पर 'सुधार की कोई मंशा' जाहिर की है।
 
इस वर्ष की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका 'गंभीर प्रजातीय भेदभाव', हथियारों की हिंसा, सरकार से स्वीकृति प्राप्त निजता पर हमले और अक्षम स्वास्थ्य सेवा से ग्रस्त है। इसके अलावा वहां बुनियादी असमानता है। 
 
'हालांकि अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा विकसित देश है लेकिन यह अपने नागरिकों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को सुनिश्चित करने को लेकर मुश्किल में है। आर्थिक रिकवरी के दौर में आय की असमानता बढ़ी है, बेघर लोगों का बुनियादी जीवन स्तर गिरा है, स्वास्थ्य रक्षण की व्यवस्था बहुत बुरे तरीके से काम कर रही है और औसत नागरिकों के शैक्षिक अधिकारों का हनन हो रहा है।'
 
चीन के मानवाधिकार अपराधों की विस्तृत सूची में पिछले वर्ष के दौरान हुई हिंसक घटनाओं से लेकर कुल मिलाकर उद्योग और अर्थव्यवस्था से जुड़े सामान्य मुद्दे भी शामिल हैं। यह रिपोर्ट उस अमेरिकी रिपोर्ट के कुछेक दिनों बाद आई है जिसमें चीन में नागरिकों के दमन और उत्पीड़न के व्यापक उपयोग की आलोचना की गई थी। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच सरकारों की उच्च स्तरीय वार्ता समाप्त हुई थी। 
 
यह रिपोर्ट एक लम्बी और विचित्र परम्परा का हिस्सा है। पिछले सोलह वर्षों से चीन ने अमेरिका में मानवाधिकारों को लेकर वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। कोई भी देश चीन की स्टेट काउंसिल की रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं लेता है। जबकि इसका प्रकाशन भी चीन सरकार की अक्सर दोहराई जाने वाली विचारधारा- कि सरकारों को एक दूसरे के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए- के खिलाफ है। 
 
ऐसा प्रतीत होता है कि इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने के पीछे चीन का मुख्य उद्देश्य यह बताना है कि अमेरिका का दोहरा रवैया है। इसके साथ ही, यह संदेश दिया जाता है कि बोलने की आजादी, स्वतंत्र मीडिया और लोकतंत्र के बावजूद अमेरिका रहने के लिए अच्छा देश नहीं है। यह मानवाधिकारों को लेकर चीन के इस दृष्टिकोण का समर्थन करती है कि नागरिकों को आर्थिक अधिकार- कपड़ा, घर और काम- दिलाना सरकार का कर्तव्य है। (लिली कुओ)