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Last Modified: वॉशिंगटन , मंगलवार, 31 जनवरी 2017 (14:21 IST)

अमेरिकी संसद में एच-1बी वीजा बिल पेश, आईटी कंपनियों को बड़ा झटका

अमेरिकी संसद में एच-1बी वीजा बिल पेश, आईटी कंपनियों को बड़ा झटका - H-1B Visa Reform Bill Introduced in US House
अमेरिका में नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी के बाद उठाए गए सबसे बड़े कदमों में से एक एच-1बी वीजा बिल अमेरिकी संसद में पेश हो गया है। बिल के तहत एच-1बी (H-1B) वीजाधारकों के न्यूनतम वेतन को दोगुना करके एक लाख 30 हजार अमेरिकी डॉलर करने का प्रस्ताव है। भारतीय आईटी कंपनियों के लिए यह एक बुरी खबर है और यही वजह है कि बिल पेश होने के बाद आईटी शेयर नीचे जा रहे हैं।
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में पेश इस बिल के चलते अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी मूल के कर्मचारियों की भर्ती कठिन हो जाएगी। भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग पर इसका खासा असर पड़ सकता है।
 
The High-Skilled Integrity and Fairness Act of 2017 नाम के इस विधेयक के पास होने के बाद उन कंपनियों को H-1B वीजा देने में तरजीह मिलेगी जो ऐसे कर्मचारियों को दो गुना वेतन देने के लिए तैयार होंगे। ऐसी कंपनियों को न्यूनतम वेतन की श्रेणी भी खत्म करनी होगी। वेतन में प्रस्तावित बढ़ोत्तरी लागू होने के बाद H-1B वीजा वाले कर्मचारियों को नौकरी देने वाली कंपनियों को भर्ती के लिए जरूरी अटेस्टमेंट प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं होगी।
 
विधेयक को पेश करने वाले सांसद जो लोफग्रेन के मुताबिक ये बिल H-1B वीजा कार्यक्रम के तहत दुनिया की सबसे बेहतर प्रतिभाओं को अमेरिका लाने में कारगर साबित होगा। लोफग्रेन का कहना था कि बिल में ऐसी कंपनियों को तरजीह मिलेगी जो अपने कर्मचारियों को सबसे ज्यादा सैलरी देने को तैयार हैं। वहीं, अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों के रोजगार आउटसोर्स करने वाली कंपनियों पर लगाम लगेगी।
 
क्या है H-1B वीजा : H-1B वीजा एक नॉन-इमीग्रेंट वीजा है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं। H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों कर्मचारियों की भर्ती करती हैं। H-1B वीजा दक्ष पेशेवरों को दिया जाता है, वहीं L1 वीजा किसी कंपनी के कर्मचारी के अमेरिका ट्रांसफर होने पर दिया जाता है। दोनों ही वीजा का भारतीय कंपनियां जमकर इस्तेमाल करती हैं।
 
क्या पड़ेगा असर : एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 86% भारतीयों को H-1B वीजा कंप्यूटर और 46.5% को इंजीनियरिंग पोजीशन के लिए दिया गया है। 2016 में 2.36 लाख लोगों ने H-1B वीजा के लिए अप्लाई किया था जिसके चलते लॉटरी से वीजा दिया गया। अमेरिका हर साल 85 हजार लोगों को H-1B वीजा देता है। इनमें से करीब 20 हजार अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में मास्टर्स डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स को जारी किए जाते हैं।
 
अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा में जिस कानून का मसौदा पेश किया गया है जिसमें प्रावधान किया गया है कि एच-1बी वीजा रखने वाले प्रत्येक कार्मिक का न्यूनतम वेतन एक लाख तीस हजार डॉलर होगा। इस प्रावधान के चलते कंपनियों के लिए यह मुश्किल हो जाएगा कि वे भारत समेत विदेशी कार्मिकों को नौकरियों पर रखें।
 
वर्ष 2017 के हाई स्किल्ड इंटेग्रिटी एंड फेयरनेस एक्ट को कैलिफोर्निया के कांग्रेसमैन जो लॉफग्रेन ने पेश किया है जिसमें प्रावधान किया गया है कि वीसाज का बाजार आधारित आवंटन उन कंपनियों को मिलेगा जोकि सर्वेक्षण के अनुरूप कामगारों के वेतन में 200 फीसदी से अधिक बढ़ोत्तरी करने को तैयार हों। विदित हो कि वर्तमान में एच1-बी वीजा के तहत कार्मिकों को 60 हजार डॉलर मिलते हैं जोकि 1989 में तय किए गए थे और तब से यह राशि बदली नहीं गई है।
 
लॉफग्रेन का कहना है कि उन्होंने बाजार आधारित हल उन कंपनियों के लिए सुझाया है जोकि अधिकाधिक वेतन देने के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही अमेरिकी नियोक्ताओं के लिए भी प्रतिभाएं मिल सकेंगी। उनका कहना है कि वे रोजगार आधारित प्रवासी वीजा के प्रति देश के कैप को समाप्त करने का प्रावधान करते हैं।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए कदम से भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच खलबली मच गई है और ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने की संभावना है जिसके चलते एच1बी और एल1 वीजा पर शिकंजा कस सकता है। यह वीजा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों के बीच लोकप्रिय है क्योंकि वे अल्पकालिक नौकरी के लिए ऐसे वीजा पर अमेरिका जाते हैं।
 
इस आदेश का लक्ष्य रोजगार वीजा के नियमों को कड़ा बनाना है और यह अमेरिकी नई सरकार के आव्रजन व्यवस्था में सुधार की व्यापक योजना का हिस्सा है। यह जानकारी व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने दी है।
 
माना जा रहा है कि ट्रंप सरकार के इस कदम से न केवल एच1बी और एल1 वीजा पर शिकंजा कसेगा बल्कि इससे इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा। इससे संबंधित राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश के मसौदे के अनुसार नई व्यवस्था में एच1बी वीजा पर आने वाले व्यक्तियों के जीवनसाथी के लिए अमेरिका में काम करने की अनुमति भी खत्म हो जाएगी। जीवनसाथी को काम करने का अधिकार देने वाले वीजा की शुरूआत बराक ओबामा की सरकार ने हाल ही में ही की थी।
 
विदित हो कि राष्ट्रपति के आदेश का मसौदा सोमवार को लीक हो गया था और कुछ समाचार पत्रों ने इसे प्रकाशित कर दिया था। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मेरे हिसाब से जहां तक एच1बी और बाकी वीजा की बात है यह व्यापक आव्रजन सुधारों का हिस्सा है। राष्ट्रपति अपने कार्यकारी आदेशों के माध्यम और कांग्रेस के साथ काम करते हुए इनके बारे में बात करना जारी रखेंगे।
 
स्पाइसर ने कहा कि आप आव्रजन को लेकर उठाए गए कई कदम पहले ही देख चुके हैं और मेरा मानना है जहां तक जीवनसाथी को काम करने के अधिकार वाले वीजा या अन्य प्रकार के वीजा की बात है सभी तरह के कार्यक्रमों पर संपूर्ण पुनर्विचार करने की जरूरत है। आपको कार्यकारी गतिविधियों और अन्य समग्र कदमों के माध्यम से आव्रजन और संपूर्ण वीजा कार्यक्रमों से जुड़े मसलों का समाधान दिखाई देगा।
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