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Last Modified: वॉशिंगटन , मंगलवार, 9 मई 2017 (14:45 IST)

क्यों बढ़ेगी ग्वादर से अमेरिका, ईरान और भारत की मुसीबत

क्यों बढ़ेगी ग्वादर से अमेरिका, ईरान और भारत की मुसीबत - Gwadar Port
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व दूत का दावा है कि चीन द्वारा 46 अरब डॉलर की लागत से आर्थिक गलियारा पहल के तहत विकसित किए जा रहे पाकिस्तान के रणनीतिक बंदरगाह से न केवल भारत के लिए बल्कि अमेरिका, ईरान और खाड़ी क्षेत्र के लिए भी दिक्कत होगी।
 
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने बताया, 'अगर ग्वादर का रखरखाव चीन करने जा रहा है या उसकी यहां सैन्य तथा नौसैन्य मौजूदगी रहती है तो इससे मुश्किल केवल भारत को ही नहीं होगी। इससे खाड़ी, ईरान, अन्य देशों तथा अमेरिका तक को और तेल आपूर्ति तथा खाड़ी देशों के साथ अन्य व्यापार पर असर होगा।' हक्कानी ने कहा कि ग्वादर को इस्लामाबाद हमेशा से ही एक रणनीतिक सैन्य स्टेशन समझता रहा है।
 
चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा वास्तव में सड़कों, रेलवे और उर्जा परियोनाओं का एक नियोजित नेटवर्क है जो दक्षिणी पाकिस्तान और ग्वादर बंदरगाह को चीन के अशांत शिनजियांग उइगुर स्वायत्तशासी क्षेत्र से जोड़ता है। चूंकि यह कश्मीर के, पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से से होकर गुजरता है इसलिए भारत ने इस परियोजना को लेकर आपत्ति जताई है।
 
हक्कानी ने कहा, 'पाकिस्तान के पास बड़े नौसैन्य स्टेशन के लिए संसाधन नहीं हैं। लेकिन पाकिस्तान का पूरा रणनीतिक प्रारूप भारत से संबंधित है।' उन्होंने कहा कि यही वजह है कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का विरोध करता है।
 
उन्होंने कहा, 'यह इसलिए नहीं है कि उसे सुरक्षा परिषद में नए सदस्यों को स्थायी सदस्य बनाए जाने में आपत्ति है। वह नहीं चाहता कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बने।' (भाषा)
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