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Last Modified: सान फ्रांसिस्को। , सोमवार, 11 सितम्बर 2017 (12:48 IST)

फेसबुक पर लाखों नकली 'लाइक्स' की घुसपैठ

फेसबुक पर लाखों नकली 'लाइक्स' की घुसपैठ - Facebook Fake Like
यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा में हुए एक नए अध्ययन से पता चला कि स्कैम आर्टिस्ट फेसबुक की सुरक्षा में सेंध लगा रहे हैं कि वे तरीके से कुछ पोस्ट्‍स हजारों की संख्या में लाइक्स भेजते हैं। वेबसाइट्‍स के इस बढ़ते दौर में यूजर्स को अब एक सुविधा और मिल गई है। वे फेसबुक पर लाखों की संख्या में नकली लाइक्स और कमेंट्‍स पैदा कर सकते हैं। 
 
इसके लिए उन्हें कुछ नहीं करना पड़ता क्योंकि कुछ साइबर एक्सपर्ट ऐसा करने में सक्षम में कि यह सब अपने आप होता रहता है। यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा के शोधकर्ताओं ने बड़ी संख्या में इनका पता लगाया है।
 
यूएसए टुडे के अनुसार फेसबुक के एक कम्प्यूटर साइंटिस्ट ने काम करते हुए लाहौर, पाकिस्तान में यह गोरखधंधा पकड़ा। इन लोगों ने पता लगाया कि पचास से ज्यादा ऐसी साइट्‍स को पाया जोकि फ्री, नकली 'लाइक्स' यूजर्स की पोस्ट पर करती हैं। इसके बदले में ये अपने यूजर्स के एकाउंट्‍स उन्हें देते हैं जोकि बदले में अन्य साइट्‍स पर झूठी 'लाइक' डालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 
 
सीनेट में एक शीर्ष डेमोक्रेट ने फेसबुक व्युअर्स निक कारडोना @nickcardona93ने मामले की जांच की और इस स्टोरी को बज60 डॉट कॉम में दिया। विदित हो कि ये सीनेटर अमेरिकी चुनावों में रूसी हस्तक्षेप की जांच कर रहे हैं।
 
वैज्ञानिकों ने पाया कि ये 'सांठ गांठ करने वाले नेटवर्क्स' स्पेमसो द्वारा चलाए जाते हैं और इन्होंने कम से कम दस लाख फेसबुक एकाउंटस की जानकारी हासिल कर ली है। इनकी बदौलत से 2015 से 2016 के बीच दस करोड़ फेक लाइक्स सिस्टम्स पर डाल चके हैं।
 
इनमें से बड़ी संख्या में 'लाइक्स' को फेसबुक एलगोरिद्म में उपर पोस्ट किया जाता है ताकि इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोग देख सकें। साथ ही, इस कारण से भी यह पोस्ट अधिक बैध प्रतीत होते हैं।  
 
इसके अलावा, अदला-बदली करने वाली साइट्‍स में यूजर्स को पाइंट्‍स भी दिए जाते हैं कि उन्हें लाइक करने पर उनकी पोस्ट को भी लाइक मिलेंगे। इस तरह की साइट्‍स एक लम्बे समय से बने हुए हैं जबकि यह फेसबुक के सेवा शर्तों का उल्लंघन है। 
 
शोधकर्ताअओं ने यह भी पाया कि उनकी इस गतिविधि को टर्बोचार्ज्ड कर दिया गया है क्योंकि स्कैम आर्टिस्ट्‍स ने एक खामी खोज निकाली है जोकि फेसबुक के कोड में सेंध लगा देती है। इससे इन लोगों को आईमूवी और स्पोटीफाई जैसे थर्ड पार्टी एप्लीकेशंस को फेसबुक के यूजर्स अकाउंट को एक्सेस कर सकती है।  
 
यह एक ऐसी ऑटोमैटिंग प्रोसेस (अपने आप चलने वाली प्रक्रिया) चालू कर देती है ज जोकि पहले मैनुअल थी और तब बहुत थोड़े से लाइक्स शामिल होते थे। (एजेंसी)
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