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क्या भारत इबोला से निपट सकता है?

क्या भारत इबोला से निपट सकता है? - Ebola
महामारियां आग की तेजी से फैलती हैं। अभी इबोला ने कई देशों को अपनी चपेट में ले रखा है और यह एक भयानक बीमारी बनकर उभरी है। पश्चिमी अफ्रीका में इस बीमारी से 5,000 लोग मारे गए हैं। यह बीमारी दुनिया के अन्य हिस्सों में भी बड़ी तेजी से फैल रही है। डलास, मेड्रिड और लागोस में यह बीमारी पहुंच चुकी है और पश्चिम अफ्रीकी देश लाइबेरिया, गिनिया एवं सिएरा लिओन में तो फैल चुकी है। पर क्या होगा अगर यह भारत जैसे घने बसे हुए, बहुत ज्यादा आबादी और बहुत कमजोर हेल्थकेयर सिस्टम वाले देश में पहुंचती है?


करीब 50 प्रतिशत लोग, जो इस बीमारी की चपेट में आते हैं, बच नहीं पाते। भारत की जनसंख्या करीब 1 अरब 20 करोड़ है और इस खतरनाक बीमारी के यहां आने पर जो तबाही होगी, वो बहुत भयानक होगी। नोबेल प्राइज जीतने वाले अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन भारत के हेल्थ सिस्टम को बहुत ही निचले स्तर का मानते हैं। जहां ग्रामीणों के पास आधुनिक सुविधाएं तो दूर, भरपेट खाना तक नहीं है। भारत में बजट का जो हिस्सा हेल्थकेयर पर खर्च किया जाता है, वो अफ्रीका के दो देशों, कुल तीन में से जो कि इबोला से जूझ रहे हैं, से भी कम है।

विश्व बैंक के हिसाब से भारत में हर व्यक्ति पर $61 का खर्च 1 साल में किया जाता है जबकि लाइबेरिया में यह आंकड़ा $65 और सिएरा लिओन में $96 पर पहुंचता है। भारत में हर 10,000 लोगों पर केवल 7 बिस्तरों के साथ सिर्फ 7 डॉक्टरों वाला अस्पताल है।

भारत की जनसंख्या पश्चिम अफ्रीका के इन देशों की तुलना में 10 गुना ज्यादा सघन बसी हुई है जिससे इबोला के वायरस बड़ी ही आसानी से फैल सकते हैं। आशंका यह है कि भारत में यह बीमारी किसी बड़े शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अंदर आ जाए जैसे कि दिल्ली या मुंबई। दिल्ली में हर स्क्वेयर किलोमीटर क्षेत्रफल में 11,000 लोग बसते हैं जबकि न्यूयॉर्क में यह आंकड़ा सिर्फ 2,000 का है। मुंबई, जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा सघन बसा हुआ है, में 29,650 लोग इतने क्षेत्र में रहते हैं। अगर इबोला मुंबई से प्रवेश करता है तो यह बहुत बहुत तेजी से फैल जाएगा।

भारत में फैलने वाली बीमारियां बड़ी तेजी से फैलती हैं। यहां पूरी दुनिया में पाए जाने वाले कुल रैबीज इंफेक्शन के एक तिहाई मरीज होते हैं, वहीं टीबी के कुल मरीजों के 24 प्रतिशत मरीज भारत में होते हैं। और तो और, डेंगू-बुखार के सबसे ज्यादा मरीज यहीं पाए जाते हैं। भारत की चिकित्सा क्षेत्र की सफलताएं कुछ ज्यादा उल्लेखनीय नहीं हैं, जैसे पूरे देश से पोलियो का खात्मा 2014 में हो गया, पर यह ऐसा करने वाले देशों की सूची में वह नीचे से चौथे नंबर पर अपनी जगह बना पाया। पोलियो अब केवल अफगानिस्तान, नाइजीरिया और पाकिस्तान में ही बचा है।

यहां एक सकारात्मक पहलू भारत के विषय में यह है कि पिछ्ले कुछ सालों में दुनिया के लिए बड़ा खतरा बनी महामारियों में भारत ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया, जैसे 2003 में दुनिया के लिए खतरा बना सीविअर एक्युट रेसपीरिटोरी सिंड्रोम (SARS) और एवियन फ्लू का एक भी मरीज भारत में दर्ज नहीं हुआ हालांकि स्वाइन फ्लू से 2009 में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 3,000 लोग मारे गए थे, फिर भी यह यूनाइटेड स्टेट्स में इसकी चपेट में आए 12,000 लोगों की तुलना में 4 गुना कम था।

भारत भौगोलिक तौर पर इबोला की चपेट में आए पश्चिम अफ्रीकी देशों से बहुत दूर है और वहां से यहां के लिए कोई सीधी फ्लाइट भी नहीं है, पर फिर भी एक डराने वाला सच यह है कि इबोला के लक्षण कई दिनों और कभी-कभी हफ्तों तक नहीं उभरते।

करीब 45,000 भारतीय पश्चिम अफ्रीकी देशों में रहते हैं, जो कि इस दौरान अपने देश में आ सकते हैं और अगर उनके साथ इबोला के वायरस ने भारत मे प्रवेश कर लिया तो भविष्य एक बहुत बुरे सपने के जैसा होगा।