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Last Updated : शुक्रवार, 24 जून 2016 (21:20 IST)

ब्रिटिश ईयू से अलग होने के पक्ष में, कैमरन ने की इस्तीफे की घोषणा

ब्रिटिश ईयू से अलग होने के पक्ष में, कैमरन ने की इस्तीफे की घोषणा - David Cameron, Brekgit, David Cameron, resignation,
लंदन। यूरोपीय संघ (ईयू) से अलग होने के संबंध में हुए जनमत सर्वेक्षण में स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड को छोड़कर पूरे ब्रिटेन ने ब्रेग्जिट के पक्ष में वोट दिया। ईयू में बने रहने के पैरोकार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने आए ब्रेग्जिट मतदान के परिणाम को देखते ही इस्तीफे की घोषणा कर दी।  कैमरन ने कहा कि वे आगामी अक्टूबर में अपने पद से हट जाएंगे।
जनमत सर्वेक्षण के दौरान ब्रिटेन के कुल 71.8 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट दिया जिसमें से 1 करोड़ 74 लाख 10 हजार 742 मतदाताओं यानी कुल 51.9 प्रतिशत ने ईयू से अलग होने तथा 1 करोड़ 61 लाख 41 हजार 241 ने ईयू में बने रहने के पक्ष में वोट दिया। वर्ष 1992 के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में ब्रिटिश मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया है।
 
सर्वेक्षण के नतीजे के अनुसार इंग्लैंड में ब्रेग्जिट के पक्ष में 53.4 प्रतिशत और विरोध में 46.6 प्रतिशत, वेल्स में ब्रेग्जिट के पक्ष में 52.5 प्रतिशत और विरोध में 47.5 प्रतिशत, स्कॉटलैंड में ब्रेग्जिट के पक्ष में 38 प्रतिशत और विरोध में 62 प्रतिशत तथा उत्तरी आयरलैंड में ब्रेग्जिट के पक्ष में 44.2 प्रतिशत और विरोध में 55.8 प्रतिशत वोट पड़े।
 
जनमत सर्वेक्षण के नतीजे के घोषित होते ही वैश्विक बाजार में उथल-पुथल मच गई और डॉलर के मुकाबले पाउंड के मूल्य में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इससे पहले पाउंड के मूल्य में इतनी गिरावट 1985 में दर्ज की गई थी। इससे दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश ब्रिटेन में निवेश को करारा झटका लगेगा और वैश्विक बाजार की धुरी के रूप में उसकी भूमिका प्रभावित होगी। 
सर्वेक्षण के नतीजे से देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल पैदा हो गया है । शेयर बाजार में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है और कई यूरोपीय कंपनियों की कीमत में अरबों डॉलर की कमी आयी है। ईयू में बने रहने के पक्ष में वोट करने वाले स्कॉटलैंड में फिर ब्रिटेन से आजादी की मांग उठने लगी है और स्कॉटलैंड के नेताओं का कहना है कि ईयू में बने रहने की उनकी इच्छा के विपरीत उन्हें ब्रिटेन की वजह से अलग होना पड़ेगा।
 
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कैमरन ने नतीजे की घोषणा होते ही अपने 10 डाउनिंग स्ट्रीट स्थित कार्यालय के बाहर इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि उन्हें गर्व है कि वे 6 साल तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे लेकिन अब ईयू से अलग होने के पक्ष में मतदान हुआ है, ऐसे में उनका पद पर बने रहना उचित नहीं है।
 
इस्तीफे की घोषणा करते हुए कैमरन से बहुत ही भावुक होकर कहा," मैं जनमत का सम्मान करता हूं। मैंने कुछ भी नहीं छिपाया। मेरा मानना है कि ब्रिटेन ईयू में बने रहकर अधिक मजबूत और सुरक्षित रहेगा और इस पर मेरी राय बिल्कुल स्पष्ट है। मैंने पहले ही बताया था कि यह जनमत सर्वेक्षण बस इसी मुद्दे पर हो रहा है न कि किसी खास नेता के भविष्य को लेकर है लेकिन ब्रिटेन के लोगों ने अलग रास्ता चुनने का स्पष्ट निर्णय लिया है और इस कारण मेरा मानना है कि देश को अब इस रास्ते पर ले जाने वाले नए नेतृत्व की जरूरत है। 
 
लगभग एक साल पहले पूर्ण बहुमत से दोबारा सत्ता में आए कैमरन ने कहा कि वे जल्दबाजी में पद से नहीं जाएंगे बल्कि जाने से पहले देश को स्थिर नेतृत्व देकर और वित्तीय बाजार की उथलपुथल को आने वाले महीनों में ठीक करके जाएंगे। उन्होंने बताया कि अक्टूबर के शुरुआत में होने वाले कंजर्वेटिव पार्टी के सम्मेलन से पहले देश को नया प्रधानमंत्री मिल जाएगा और तब तक उनका मंत्रिमंडल देश में स्थिरता लाने का काम करता रहेगा। इस्तीफे की घोषणा के बाद  कैमरन महारानी एलिजाबेथ से मुलाकात करने बकिंघम पैलेस चले गए। बकिंघम पैलेस के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की। 
 
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 28 यूरोपीय देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक साझेदारी स्थापित करने के उद्देश्य के साथ ईयू की स्थापना की गई थी। ऐसा माना गया कि अगर देशों के बीच आर्थिक साझेदारी रहेगी तो आपस में युद्ध नहीं करेंगे। ईयू ने एक तरह से इन 28 देशों को एक विशाल देश के रूप में स्थापित किया, जिसकी अपनी पार्लियामेंट है और अपने नियम-कायदे हैं। इसके 19 सदस्य देश एक ही करेंसी यूरो को मान्यता देते हैं। जनमत सर्वेक्षण के बावजूद ब्रिटेन को आधिकारिक रूप से ईयू छोड़ने में दो साल का समय लगेगा। 
 
लिस्बन समझौते के अनुच्छेद 50 के तहत ईयू से नए व्यापार समझौते की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में दो साल लगेंगे। इन दो वर्षों के दौरान ब्रिटेन ईयू के कानून और समझौतों का पालन करता रहेगा लेकिन वह निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होगा। ब्रिटेन को अब ईयू के शेष 27 देशों के साथ संबंधों में आने वाले बदलाव के मद्देनजर नए समझौते करने होंगे। कैमरन ने कहा है कि वे लिस्बन समझौते के अनुच्छेद 50 को लागू नहीं करेंगे और इसे नए प्रधानमंत्री के विवेक पर छोड़ देंगे। 
 
वैश्विक साख निर्धारक एजेंसी मूडीज ने कहा है कि ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के फैसले से लंबे समय के लिए अनिश्चितता कायम होगी जिसका असर उसके आर्थिक एवं वित्तीय प्रदर्शन पर पड़ेगा। मूडीज ने कहा कि इससे ब्रिटेन की साख पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 
 
निवेशकों को जारी सलाह में एजेंसी ने कहा कि वित्तीय बाजार पर तात्कालिक प्रभाव स्टर्लिंग(पाउंड)और वैश्विक शेयर बाजारों में आई तेज गिरावट के रूप में सामने आ चुकी है। जब तक ईयू से ब्रिटेन के अलग होने की शर्तों पर दोनों के बीच वार्ता चलेगी, ब्रिटेन में निवेश तथा उपभोक्तओं एवं कारोबारियों का विश्वास कमजोर बना रहेगा जिसका असर इसके विकास पर दिखेगा। उसने यह भी चेतावनी दी है कि योरपीय संघ के अन्य सदस्य देशों के बीच संघ से अलग होने की प्रवृत्ति कहीं बढ़ न जाए।
 
मूडीज का अनुमान है कि ईयू से अलग होने के बाद भी ब्रिटेन और ईयू के बीच अधिक व्यापार पहले की तरह बना रहेगा।  अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने कहा कि ईयू से अलग होने का फैसला करने के बाद ब्रिटेन की ट्रिपल 'ए' क्रेडिट रेटिंग ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी। एसएंडपी के मुख्य रेटिंग अधिकारी मोरित्ज क्रैइमर ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा,"हमारा मानना है कि इन परिस्थितियों में ट्रिपल ए रेटिंग अस्थायी है।
 
ब्रिटेन के ईयू से नाता तोड़ने पर संघ को आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर करार झटका लग सकता है। ईयू में ब्रिटेन  एक ऐसा सदस्य था, जो मुक्त बाजार का पक्षधर था और उसके पास सुरक्षा परिषद के सदस्य के रूप में वीटो का अधिकार है। 
 
ऐसा कहा जा सकता है कि ब्रिटेन के हटने से ईयू को अपने कुछ आर्थिक उत्पादों का छठा हिस्सा गंवाना पड़ेगा। यूरो के प्रति चिंतित रहने वाले फ्रांस और नीदरलैंड जैसे सदस्य राष्ट्रों में जनमत सर्वेक्षण की मांग उठने लगी है।
 
यूरोपीय संघ की कार्यकारिणी में काम करने वाले ब्रिटिश नागरिकों को आश्वस्त करते हुए यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाद जंकर ने कहा है कि वह उनकी नौकरी को सुरक्षित रखने का हरसंभव प्रयास करेंगे। 
 
उन्होंने संघ में काम करने वाले सभी ब्रिटिश नागरिकों को भेजे ई-मेल में लिखा है कि आप यूरोप के लिए काम करते हैं। आपने इस संस्थान में शामिल होने के साथ ही अपनी राष्ट्रीयता को भुला दिया था और अब इस संस्थान के दरवाजे आपके लिए बंद नहीं हो रहे हैं।
 
उन्होंने साथ ही कहा कि ईयू से अलग होने के ब्रिटेन का निर्णय संघ के खात्मे की शुरूआत नहीं है। ईयू के ब्रसेल्स स्थित मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए श्री जंकर ने कहा कि इससे संघ का खात्मा नहीं होगा।
 
ब्रिटेन के ईयू से बाहर हो जाने के फैसले पर दुनियाभर के नेताओं ने नाखुशी जताई है। जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रैंक वाल्टर स्टेनमेयर ने कहा है कि ब्रिटेन का ईयू से अलग हो जाने के पक्ष में वोट करना यूरोप के लिए दुखद है। उन्होंने टि्वटर पर कहा कि ब्रिटेन से आई खबर सही में गंभीर है। यह यूरोप और ब्रिटेन के लिए बुरे दिन की तरह दिख रहा है।
 
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन मार्क आयरॉल्ट ने कहा कि जनमत संग्रह में ब्रिटेन के ईयू छोड़ने का फैसला 'यूनाइटेड किंगडम' के लिए दुखद है और इस पर यूरोप को प्रतिक्रिया जाहिर करनी चाहिए । उन्होंने कहा कि यूरोप ऐसे ही चलता रहेगा,लेकिन उसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए और अपने लोगों का विश्वास बहाल करना चाहिए। यह बहुत जरूरी है।
 
फिनलैंड के विदेश मंत्री और यूरोस्केप्टिक फिन्स पार्टी के नेता टिमो सोइनी ने कहा कि ईयू के बारे में ब्रिटेन के जनमत संग्रह के नतीजों का सम्मान करना चाहिए। ईयू और ब्रिटेन के बीच भविष्य में किसी भी बातचीत में प्रतिशोध नहीं होना चाहिए।
 
दक्षिण कोरिया के उप वित्त मंत्री चोई सांग मोक ने कहा कि ब्रेग्जिट के मद्देनजर उनकी सरकार संभवत: मुद्रा विनिमय की नई व्यवस्था पर विचार कर सकती है। वित्त मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने नीति निर्माताओं की बैठक के बाद कहा कि दक्षिण कोरियाई बॉन्ड में विदेशी निवेश अभी तक स्थिर लग रहा है।
 
चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री बोहुस्लाव सोबोत्का ने कहा कि यूरोपीय संघ को जल्द बदलना चाहिए। ऐसा इसलिए नहीं कि ब्रिटेन ने बाहर रहने का निर्णय लिया है बल्कि अपने नागरिकों के लिए सहयोग बढ़ाने के वास्ते ऐसा करना चाहिए।
 
हालांकि रूस के वित्त मंत्री एन्टोन सितुलोब ने कहा कि ईयू से अलग होने के ब्रिटेन के फैसले का रूस की अर्थव्यवस्था पर कोई खास नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। रूसी वित्तमंत्री ने कहा कि रूस की अर्थव्यवस्था को नकारात्मक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक घटनाक्रम की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने का पहला असर तेल की कीमतों पर पड़ेगा। इससे कीमतें नीचे आ सकती हैं और रूबल कमजोर हो सकता है। (वार्ता)