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Last Modified: बुधवार, 28 सितम्बर 2016 (12:32 IST)

संकट में चीन, भारत जा रही हैं कंपनियां

संकट में चीन, भारत जा रही हैं कंपनियां - chinese economy
चीन की अर्थव्यवस्था संकट में घिर रही है और देश की प्रमुख उत्पादक कंपनियां चीन की बजाय भारत में निवेश कर रही है। चीनी अर्थव्यवस्था को लेकर प्रमुख सरकारी दैनिक ग्लोबल टाइम्स ने पार्टी और सरकार को चेतावनी दी है कि इससे जहां देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है,  वहीं देश की श्रम शक्ति पर छंटनी की तलवार लटकने लगी है।
 
चीन की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी हुवेई ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग क्या शुरू की, चीन की आधिकारिक मीडिया को चिंता होने लगी। ग्लोबल टाइम्स ने इस बात को लेकर चेताया है कि कंपनियां अपने कारखाने चीन से भारत शिफ्ट कर रही हैं, लिहाजा छंटनी की तलवार लटक सकती है।
 
समाचार पत्र ने सरकार को चेताते हुए कहा है कि चीन की प्रोडक्शन चेन भारत में शिफ्ट हो रही है
इसलिए बीजिंग को इस बात पर चिंता होनी चाहिए। अगर चीनी कंपनियां भारत में कारखाने लगाने में दिलचस्पी दिखा रही हैं और संसाधनों का प्रवाह चीन से भारत की ओर होने लगा है तो एशियाई दोनों दिग्गजों की आर्थिक प्रतिस्पर्धा नए मोड़ पर पहुंच गई है, जो चीन के लिए चिंता की बात है।
 
सरकारी मीडिया का कहना है कि ऐसे में बीजिंग को अपनी इंडस्ट्री चेन का विस्तार करना चाहिए वरन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आर्थिक परिवर्तनों के कारण देश के राजनीतिक फैसले न प्रभावित होने लगें। चीन की सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक हुवेई स्मार्टफोन बनाने वाली उन कंपनियों की जमात में शामिल हो गई है, जो भारत जैसे सुविधानुकूल बाजार में प्रोडक्शन यूनिट शिफ्ट कर रही हैं। इसकी वजह से चीन में लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती है।
 
अपनी अर्थव्यवस्था में गिरावट की आशंका के मद्दे नजर चीन ने भारत-पाक के बीच युद्ध की सी स्थिति में यह बात साफ करने की कोशिश की है कि जहां तक सुरक्षा और सहयोग की बात है तो चीन, पाकिस्तान की खातिर अपने हितों की कुर्बानी नहीं दे सकता है। इसलिए चीनी मीडिया ने एक सप्ताह में दो बार इस बात का खंडन किया कि दोनों देशों की लड़ाई में चीन हर हालत में पाकिस्तान का समर्थन जारी रखेगा। 
 
विशेष रूप से तब जबकि भारत के राजनीतिक फैसलों से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित होगी, ऐसी हालत में चीन, पाकिस्तान का साथ देकर अपने उपर और अधिक बोझ नहीं लादना चाहेगा। विशेष रूप से सिंधु और इसकी सहायक ‍नदियों पर समझौते की समाप्त‍ि और पाक को भारत से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा समाप्त होने के चलते पाकिस्तान की बजाय भारत का साथ देने में ज्यादा लाभ नजर आने लगा है।