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विचित्र त्योहार! एक-दूसरे पर फेंकते हैं चूहे...

विचित्र त्योहार! एक-दूसरे पर फेंकते हैं चूहे... - battle of rats
आपने तरह-तरह के विचित्र त्योहारों के बारे में सुना होगा लेकिन एक विचित्र त्योहार स्पेन में भी मनाया जाता है जिसमें लोगों के समूह एक दूसरे पर मरे चूहे फेंकते हैं। प्रतिवर्ष वैलेंशिया के एक कस्बे एल प्यूग में मनाए जाने वाले त्योहार को 'बैटल ऑफ द रैट' भी कहते हैं।
 
एक बड़े से खुले  मैदान में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के झुंड दूसरे ओर जमा लोगों पर मरे चूहे फेंकते हैं। जब लोग चूहों की पूंछ पकड़कर इसे निशाना साधकर दूसरों पर फेंकते हैं तो दर्शक खुश हुए बिना नहीं रहते हैं और वे इन खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाते हैं।    
 
मेल ऑनलाइन के लिए रीटा सोबो लिखती हैं कि स्पेन की एक चैरिटी संस्था 'पीएसीएमए' ने इस खेल को 'घृणित' और 'अनैतिक' बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की हैं। कैम्‍पेन ग्रुप पीएसीएमए ने वेलेंशियन शहर में हो रहे इस फेस्टिवल का वीडियो जारी किया है और इसका एक वीडियो जारी कर कहा है कि महात्मा गांधी ने कहीं लिखा है कि 'किसी समाज के लोगों का नैतिक स्तर उसके द्वारा पशुओं के साथ किए जाने वाले व्यवहार' से जाना जाता है।
 
विदित हो कि इसे 1996 में अवैध घोषित कर दिया गया था, लेकिन इसे प्रतिवर्ष रविवार के दिन कस्बे के चौक में मनाया जाता है। संस्था की शिकायत है कि स्थानीय काउंसिल ने इसे रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए हैं।
 
इस खेल में बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी शामिल होते हैं और घरों के छज्जों से मरे चूहों को पूरी ताकत से दूसरे लोगों पर फेंकते हैं। चैरिटी के प्रवक्ता का कहना है कि जिस दिन यह आयोजन किया जाता है, उस दिन आश्चर्यजनक रूप से पुलिस और सिविल गार्ड्‍स गायब रहते हैं। इस आयोजन के बाद एक बड़े इलाके में मरे चूहे बिखरे पड़े होते हैं।
 
इस आयोजन में भाग लेने वाले लोगों को इससे भी कोई अंतर नहीं पड़ता है कि चूहा मरा हुआ है या जिंदा। एल पियूग की वेबसाइट पर इस ऐतिहासिक आयोजन में नाच, गाने, मनोरंजन, खाने पीने और विभिन्न प्रतियोगिताओं का जिक्र किया जाता है लेकिन चूहों को लेकर कोई बात नहीं कही जाती है। वेबसाइट पर बताया गया है कि यह कस्बे के संरक्षक संत परे की याद में मनाया जाता है।  
 
इस खेल में भाग लेने के लिए छोटे-छोटे बच्चे भी भाग लेते हैं। इस समारोह के आयोजन से कई दिनों पहले चूहों को खोजना, पकड़ना शुरू हो जाता है। कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि यह एक घृणित परम्परा है जिसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए और प्रत्येक प्राणी के प्रति सम्मान का भाव प्रदर्शित किया जाना चाहिए।