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Last Updated : शुक्रवार, 4 मई 2018 (17:58 IST)

सजीव कृत्र‍िम भ्रूणों से चूहों ने गर्भधारण किया

सजीव कृत्र‍िम भ्रूणों से चूहों ने गर्भधारण किया - Artificial Embryos can Initiate Pregnancy In Mice
वैज्ञानिकों ने अब इतने सजीव कृत्रिम भ्रूणों का निर्माण कर लिया है कि अगर इन्हें चूहों में प्रत्यारोपित किया जाता है तो मादा चूहे भी गर्भधारण कर सकते हैं। लेकिन इस बात की फिलहाल कोई गारंटी नहीं है कि इनसे एक स्वस्थ शिशु का जन्म होगा या नहीं। क्योंकि अगर चीजें गड़बड़ हो जाती हैं तो यह गर्भधारण भी खत्म हो सकता है या फिर शिशुओं में बाद के जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती है। 
 
फिलहाल डॉक्टरों को भी नहीं पता कि अगर ऐसी समस्याएं पैदा होती हैं तो वे इनका सामना कैसे करेंगे। उन्हें तो यह भी नहीं पता कि गर्भाधान के बाद चूहों के शरीर में क्या हो सकता है? लेकिन अर्ली स्टेज आर्टीफिशियल एम्ब्रियो का एक नया मॉडल विकसित होने के बाद मास्ट्रिख्ट यूनिवर्सिटी ऑफ नीदरलैंड्‍स और द रॉयल नीदरलैंड्‍स अकादमी ऑफ आर्ट्‍स एंड साइंसेज (केएनएडब्ल्यू) के शोधकर्ताओं ने नेचर नाम की पत्रिका में अपना अध्ययन प्रकाशित किया है। 
 
कृत्रिम भ्रूण
 
इस घटना का महत्व समझने के लिए हमें इसकी थोड़ी सी पृष्ठभूमि में जाना जरूरी होगा। स्तनपायी जीवों में एक ब्लास्टोसिस्ट एक सौ से भी कम कोशिकाओं का एक खाली आवरण होता है। अगर इसे एक गर्भाशय में प्लांट कर दिया जाता है तो ब्लास्टोसिस्ट या एम्ब्रोनिक सेल्स (भ्रूण की कोशिकाएं) मिलकर एक भ्रूण की बाहरी परत या ट्रॉफोब्लास्ट सेल्स का निर्माण कर लेती हैं और इनसे प्लासेंट या गर्भनाल का निर्माण होता है।  
 
इस डच शोधकार्य के प्रमुख शोधकर्ता, निकोलस रिवरॉन, ने रिसर्च गेट डॉट नेट को बताया कि शोधकर्ताओं को यह बात पहले से पता थी कि कैसे स्टेम सेल्स की मदद से ब्लास्टोसिस्ट्स के बाहरी और अंदरूनी हिस्सों का निर्माण करें लेकिन वे इन दोनों को जोड़ने में सफल नहीं हो सके थे। बाद में एक और प्रयोगशाला ने सफलतापूर्वक मॉडल्स ( प्रतिदर्श या नमूने) बनाए और भ्रूण के विकास क्रम को बताया। इसने पोस्ट - इम्प्लांटेशन नमूनों को गैस्ट्रोलॉयड्स का नाम दिया लेकिन उनकी टीम पहला ऐसा दल है जिसने ट्रॉफोब्लास्ट्‍स के साथ इम्प्लांटेशन पूर्व कृत्रिम भ्रूण को पैदा किया। इन्हीं कोशिकाओं से गर्भनाल बनती है। इस दल ने अपने नमूने को 'ब्लास्टॉयड' नाम दिया।
 
इस तरह के ब्लास्टॉयड्‍स को बनाने के लिए रिवरॉन के दल ने सबसे पहले एम्ब्रॉयनिक और ट्राफोब्लास्ट स्टेम सेल्स को अलग अलग बनाया। इसके बाद में उन्होंने दोनों प्रकार की कोशिकाओं को छोटे अणुओं या हिस्सों को मिलाकर रखा जिसने उन्हें संवाद करने और खुद को संगठित करने को आगे बढ़ाया। जब इसे एक मादा चूहे के गर्भाशय में रखा गया तो कृत्रिम भ्रूण भी किसी प्राकृतिक भ्रूण की तरह से रोपित हो गया और ठीक उसी तरह प्रगति करने लगा जैसेकि एक कुदरती भ्रूण करता है। इसमें भी कोशिकाएं बंटी और मां की रक्तवाहिनियों में मिलकर एक हो गईं।   
 
उल्लेखनीय है कि मनुष्यों में एक ब्लास्टोसिस्ट अंडों ने निषेचन के मात्र पांच दिनों बाद बनता है। ब्लास्टोसिस्ट स्टेज के दौरान जो कोशिकाओं का विकास होता है, उससे गर्भधारण की सफलता पर असर पड़ता है। और इसी से शिशु के जन्मपश्चात स्वास्थ्य का निर्धारण होता है। चूंकि शोधकर्ताओं ने स्टेम सेल्स से ब्लास्टॉयड्‍स का निर्माण बड़े पैमाने पर करने में सफलता पाई है और वे विकास के इस बहुत महत्वपूर्ण स्तर तक पहुंचने में अभूतपूर्व तरीके से सफल हुए। और यह बात दुनियाभर में भावी माताओं के लिए बहुत बड़ा परिवर्तन लाने में सफल हो सकती है।  
 
यह भी पहली बार संभव हुआ है कि हम इन घटनाओं का विस्तार से अध्ययन कर सकते हैं और उन दवाओं का पता लगा सकते हैं जोकि बांझपन रोकने में सहायक हो सकती हैं। इसी तरह से बेहतर गर्भ निरोधक दवाएं पता कर सकते हैं या फिर ब्लास्टोसिस्ट में दिखाई देने वाले इपिजेनेटिक चिन्हों का पता लगा सकते हैं जोकि वयस्क जीवन में आनुवांशिक बीमारियों का कारण बनते हैं। 
 
हालांकि चूहे और मनुष्य बहुत अलग होते हैं? इसलिए सवाल किया जा सकता है कि क्या एक मानवीय गर्भाशय की उसी तरह से ब्लास्टॉयड्‍स को प्रतिक्रिया देगा जैसाकि चूहों के मामले में सिद्ध हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हम इस बात को नहीं जानते हैं। लेकिन इससे जुड़ी होने वाली खोजें प्रत्येक के लिए लाभदायी हो सकती हैं, इनमें मां, भ्रूण और शिशु शामिल हैं जिनमें से सभी को और अधिक स्वस्थ बनाया जा सकता है। -एमिली चो 
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