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Written By WD

आत्म ज्योति से करें नववर्ष का स्वागत...

विश्‍व को प्रकाशित करती है आत्मा की ज्योति

Happy new Year 2013 | आत्म ज्योति से करें नववर्ष का स्वागत...
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नववर्ष 2013 का आगाज मंगलवार के दिन हो रहा है। मंगल का अर्थ सर्वत्र शुभकारी है। भारतीय संस्कृति में लोग अंग्रेजी नववर्ष का स्वागत भी देवदर्शन के साथ करते हैं। ताकि उनके अंतरात्मा की ज्योति उन्हें वर्षभर सुख-समृद्घि और शांति से भरी-पूरी महसूस हो।

एक समय की बात है। महर्षि याज्ञवल्क्य के पास राजा जनक बैठे थे और थोड़ा अनमनस्क दिख रहे थे। थोड़ी देर बाद वह बोले - महर्षि मेरे मन में एक शंका है, कृपया उसका निवारण करें। हम जो देखते हैं, वह किसकी ज्योति से देखते हैं?

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महर्षि ने कहा- यह क्या बच्चों वाली बात करते हैं आप? प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि हम जो देखते हैं, वह सूर्य की ज्योति के कारण देखते हैं।

जनक ने पुनः प्रश्न किया- मगर जब सूर्य अस्त हो जाता है, तब हम किसके प्रकाश से देखते हैं?

महर्षि ने कहा- चंद्रमा के प्रकाश से।

जनक ने फिर अगला प्रश्न पूछा - जब सूर्य न हो, चंद्रमा न हो, तारे नक्षत्र न हों और अमावस्या की बादलों से भरी घोर अंधेरी रात हो, तब?

महर्षि बोले- तब हम शब्दों की ज्योति से देखते हैं। कल्पना करें कि विस्तृत वन है, घनघोर अंधेरा है। एक पथिक मार्ग भूल गया है, वह आवाज देता है, मुझे मार्ग दिखाओ। तब दूर खड़ा एक व्यक्ति इन शब्दों को सुनकर कहता है, इधर आओ, मैं मार्ग में खड़ा हूं। और पहला शब्दों के प्रकाश से उस व्यक्ति के पास पहुंच जाता है।

जनक ने पूछा- महर्षि, जब शब्द भी न हो, तब हम किस ज्योति से देखते हैं?

महर्षि बोले- तब हम आत्मा की ज्योति से देखते हैं। आत्मा की ज्योति से ही सारे कार्य होते हैं।

राजा जनक ने प्रश्न किया- और यह आत्मा क्या है?

महर्षि ने उत्तर दिया- योऽयं विज्ञानमयः प्राणेषु हृद्यन्तर्ज्योति पुरुषः।

अर्थात्‌ यह जो विशेष ज्ञान से भरपूर है, जीवन और ज्योति से भरपूर है, जो हृदय में जीवन है, अंतःकरण में ज्योति है और सारे शरीर में विद्यमान है, वह आत्मा है। जब कहीं कुछ दिखाई नहीं देता तो यह आत्मा की ज्योति ही जगत को प्रकाशित करती है।