शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Dholavira : क्या है धोलावीरा UNESCO World Heritage List में क्यों हुआ शामिल?

Dholavira : क्या है धोलावीरा UNESCO World Heritage List में क्यों हुआ शामिल? - Dholavira
तेलंगाना के 13वीं सदी के रामप्पा मंदिर को यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिलने के बाद अब भारत की एक और धरोहर को सम्मान मिला है। मंगलवार को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमिटी के 44वें सेशन में धोलावीरा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का टैग दिए जाने का फैसला लिया गया। गुजरात के हड़प्पा काल के शहर धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने ट्वीट किया, ‘‘धोलावीरा : भारत में, हड़प्पाकालीन शहर को विश्व धरोहर सूची में अभी-अभी शामिल किया गया। बधाई हो!' आओ जानते हैं कि धोलावीरा क्या है।
 
 
1. गुजरात में कच्छ प्रदेश के उतरीय विभाग खडीर में धोलावीरा नामक एक गांव के पास 5 हजार वर्ष पुराने प्राचीन नगर का पता चला है जिसे विश्व के सबसे प्राचीन नगरों में शामिल किया गया है। गुजरात के कच्छ जिले के मचाऊ तालुका में मानसर एवं मानहर नदियों के मध्य स्थित सिन्धु सभ्यता का एक प्राचीन तथा विशाल नगर धोलावीरा ने भारत के इतिहास को एक नया मोड़ दिया है।
 
2. धोलावीरा में भी हड़प्पा और मोहन जोदडो की तरह के नगर मिले हैं इसीलिए इसे भी अब यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है।  इसके साथ ही अब भारत में कुल ऐसी 40 साइट्स हैं, जिन्हें वर्ल्ड हेरिटेज का टैग मिल चुका है।
3. हड़प्पा, मोहन जोदडो, गनेरीवाला, राखीगढ, धोलावीरा तथा लोथल ये छः पुराने महानगर पुरातन संस्कृति के नगर हैं। जिसमें धोलावीरा और लोथल भारत में स्थित है। 
 
4. हड़प्पा, मोहन जोदडो तथा धोलावीरा के लोग कौन सी भाषा बोलते थे और किस लिपि का उपयोग करते थे, अज्ञात है।
 
5. धोलावीरा में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष पाए जाते हैं, जो दुनिया भर में अपनी अनूठी विरासत के तौर पर मशहूर हैं।
 
6. धोलावीरा की खोज जगतपति जोशी ने 1967-68 में की थी लेकिन इसका विस्तृत उत्खनन 1990-91 में रवीन्द्रसिंह बिस्ट ने किया था। 
 
7. यह स्थल अपनी अद्भुत नगर योजना, दुर्भेद्य प्राचीर तथा अतिविशिष्ट जलप्रबंधन व्यवस्था के कारण सिन्धु सभ्यता का एक अनूठा नगर था।
 
 
8. धोलावीरा में पाषाण स्थापत्य के उत्कृष्ट नमूने मिले हैं। पत्थर के भव्य द्वार, वृत्ताकार स्तम्भ, पालिशयुक्त पाषाण आदि से पता चलता है कि यह सभ्यता बहुत उत्कृष्‍ट थी। रॉक कट आर्ट के कई उदाहरण यहां मिल जाएंगे। यहां नालियां भी पत्थरों की बनाई गई है। पत्‍थरों पर घोड़े की कलाकृतियां के अवशेष भी मिले हैं।
9. धोलावीरा से सिन्धु लिपि के सफेद खड़िया मिट्टी के बने 10 बड़े अक्षरों में लिखे एक बड़े अभिलेख पट्ट की छाप भी मिली है। माना जा रहा है कि यह विश्व के प्रथम सूचना पट्ट हैं। 
 
10. पुरातत्वविद कहते हैं कि धोलावीरा एक बहुत बड़ी बस्ती थी जिसकी जनसंख्या करीब 20 हजार से अधिक थी। 
 
11. यहां एक भव्य स्टेडिम भी मिला है जिसके चारों और दर्शकों बैठने के लिए सीढ़ियां बनाई गई है।
 
12. कहते हैं कि जल स्रोत सूखने व नदियों की धारा में परिवर्तन के कारण इसका विनाश हुआ होगा।