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Last Updated :स्टॉकहोम, स्वीडन , बुधवार, 20 अप्रैल 2016 (12:56 IST)

क्या आप जानते हैं दूसरे टाइटैनिक के बारे में, स्वीडन का वासा जहाज

क्या आप जानते हैं दूसरे टाइटैनिक के बारे में, स्वीडन का वासा जहाज - Titanic of Sweden - VASA Ship
ब्रिटेन के टाइटैनिक जहाज के बारे में दुनिया जानती है, फिल्में बन चुकी हैं और किताबें लिखी जा चुकी हैं। लेकिन टाइटैनिक जैसा ही इतिहास रखने वाले स्वीडन के वासा जहाज के बारे में बहुत कुछ नहीं पता। सत्रहवीं सदी के इस जहाज का भी हश्र टाइटैनिक जैसा ही हुआ था, जब यह अपनी पहली यात्रा में डूब गया। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में वासा म्यूजियम है, जहां दोबारा तैयार इस जहाज को रखा गया है।
 
टाइटैनिक यात्री जहाज था, जबकि वासा एक सैनिक जहाज, जो स्वीडन की सेना के लिए तैयार किया गया था। इसमें कांसे के 64 तोप लगे थे और यह राष्ट्रीय सेना का गौरव बनने वाला था। साल 1628 में वासा जहाज को पानी में उतारा गया लेकिन सिर्फ 1300 मीटर की दूरी तय करने के बाद इसने दम तोड़ दिया। वासा के साथ भारी भरकम तोप और सैकड़ों लोग पानी में डूब गए।
Copyright lies with Anneli Karlsson and Karolina Kristensson

डूबने की वजह का पक्का पता नहीं लेकिन इंजीनियरों का कहना है कि जहाज के ऊपरी हिस्से में भारी हथियार रखे गए थे, जिसकी वजह से इसका गुरुत्व बल बहुत ऊपर था और यह पानी में स्थिर नहीं हो पाया।

डूबने की वजह का पक्का पता नहीं लेकिन इंजीनियरों का कहना है कि जहाज के ऊपरी हिस्से में भारी हथियार रखे गए थे, जिसकी वजह से इसका गुरुत्व बल बहुत ऊपर था और यह पानी में स्थिर नहीं हो पाया।
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लगभग 333 साल बाद 1950 के दशक में समुद्र में वासा के अवशेष मिले। इसे पानी से निकालने का काम शुरू हुआ और 1961 में दोबारा से तैयार किया गया। जहाज के अवशेष में कम से कम 15 लोगों के नरकंकाल भी मिले। वासा को हूबहू दोबारा बनाने की भरसक कोशिश की गई और इसे स्टॉकहोम के वासा म्यूजियम में रखा गया है।
 
वासा को देखना अद्भुत अनुभव है। 400 साल पहले की तकनीक और कारीगरी देखते ही बनती है। ब्रिटेन की एलिजाबेथ वॉल्टर भी स्टॉकहोम में मिल गईं। उनका कहना है, “मुझे पता ही नहीं था कि हमारे टाइटैनिक जैसा दूसरा अभागा जहाज भी था। टाइटैनिक के बारे में तो उन्होंने बहुत कुछ सुना और हॉलीवुड फिल्म बनने के बाद पूरी दुनिया उसे जान गई लेकिन वासा के बारे में बहुत कम पता है।” 
अगले पन्ने पर : जानें कौन से हैं टूरिस्ट स्पॉटः

टूरिस्ट स्पॉटः वासा म्यूजियम के अलावा भी स्वीडन में देखने को बहुत कुछ है। यह सैलानियों के लिए यूरोप के 10 सबसे पसंदीदा शहरों में गिना जाता है और हर साल एक करोड़ से ज्यादा लोग यहां पहुंचते हैं। शहर में सिक्कों का एक म्यूजियम है, जिसे जरूर देखना चाहिए। इसके अलावा फोटोग्राफी का म्यूजियम फोटोग्राफिस्का भी शानदार है। 
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यहां दुनिया भर के जाने माने फोटोग्राफरों की प्रदर्शनी लगती है, जो तस्वीरों की दुनिया स्टॉकहोम नोबेल पुरस्कारों के लिए भी जाना जाता है। यह नोबेल पुरस्कारों के जनक अलफ्रेड नोबेल का गृह नगर है। नोबेल पुरस्कारों से जुड़ा एक संग्रहालय भी यहां है। हर 
 
साल 10 दिसंबर को यहां रात्रि भोज का आयोजन होता है, जहां नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ कुछ चुनिंदा मेहमानों को निमंत्रित किया जाता है। स्वीडन का इतिहास जानना हो तो शहर में नॉर्डिक म्यूजियम जाना चाहिए।
अगले पन्ने पर कहां ठहरे, कैसे बचाएं पैसा... 

कहां ठहरें: स्वीडन और दूसरे स्कैंडिनेवियाई देशों नॉर्वे और डेनमार्क का इकट्ठा ट्रिप प्लान करना बेहतर होता है। लेकिन ख्याल रहे, ये दुनिया के सबसे महंगे देश हैं और सफर प्लान करने से पहले कुछ किफायती जगहों के बारे में पता कर लेना चाहिए। शहर के सेंट्रल हिस्से में होटल लेना अच्छा होता है क्योंकि इससे समय की काफी बचत होती है। इंटरनेट से होटल कम के कम दो महीने पहले बुक कर लेना चाहिए। ट्रिवागो और बुकिंग डॉट कॉम पर कभी कभी अच्छे ऑफर मिल जाते हैं।
 
भीड़ भाड़ वाले इलाकों के रेस्त्रां और कैफे को नजरअंदाज करना बेहतर है, जहां खाने की कीमतें आसमान छूती हैं। सड़क किनारे भी एक कप कॉफी के पांच यूरो (लगभग 400 रुपये) लग सकते हैं। पुराने शहर के कुछ इलाकों में खाने पीने की अच्छी जगहें हैं, जहां का खाना ट्राई किया जा सकता है।
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कैसे पहुंचें: स्वीडिश एयरलाइंस एसएएस दिल्ली सहित कई एशियाई ठिकानों के लिए उड़ान भरती है। लेकिन इसकी फ्लाइट बहुत महंगी होती है। किफायती टिकट के लिए ट्रैवल वेबसाइटों पर रिसर्च करना जरूरी है। भारत में मेकमाईट्रिप, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईड्रीम्स और एक्सपीडिया वेबसाइटों पर टिकट बुक कराया जा सकता है। जाहिर बात है कि फ्लाइट टिकट भी कम से कम दो महीने पहले बुक करना ही समझदारी है। 
 
काम की बात:  यूरोपीय देशों के लोग तो छह महीने पहले अपनी छुट्टियां प्लान कर लेते हैं। मौसम को ध्यान में रखते हुए गर्मियां ही स्वीडन घूमने का बेहतरीन मौसम है। अगस्त के कुछ दिनों में यहां रात 10 बजे तक सूरज की किरणें नजर आती हैं और सुबह साढ़े तीन बजे पौ फट जाता है। सर्दियों का आलम यह है कि जनवरी फरवरी में सुबह साढ़े आठ बजे तक अंधेरा होता है और दोपहर तीन बजे सूरज डूब जाता है।
 
किफायती सवारीः रोजाना सफर करने के लिए सार्वजनिक यातायात सबसे अच्छा है। ट्रेनों और बसों पर एक ही डे-टिकट से सफर किया जा सकता है। स्वीडन की मुद्रा स्वीडिश क्रोनर है। क्रेडिट कार्ड के इस जमाने में कभी कभार ही नगद पैसों की जरूरत पड़ती है, फिर भी कुछ नगद रखना समझदारी है। एक्सचेंज के लिए सबसे अच्छा उपाय स्थानीय कोई भी एटीएम मशीन है, जहां सभी वीजा, मास्टर कार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस से पैसे 
 
भारत से जुड़ावः शहर के नोबेल म्यूजियम में भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की साइकिल, किताबें और कुछ दूसरी चीजें रखी हैं। यह स्वीडन और भारत को सबसे ज्यादा जोड़ता है। पूरे स्वीडन में करीब 8000 भारतीय हैं, जिनमें से ज्यादतर राजधानी स्टॉकहोम में रहते हैं। शहर में गिनती के इंडियन रेस्त्रां हैं, जिनके मालिक आम तौर पर बांग्लादेश या पाकिस्तान के हैं। स्टॉकहोम में दो मंदिर भी हैं, जबकि यहां की यूनिवर्सिटियों में भी भारतीय छात्रों की अच्छी संख्या है।