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होली के 4 प्रचलित लोकगीत - अवध में होली खेलैं रघुवीरा

होली के 4 प्रचलित लोकगीत - अवध में होली खेलैं रघुवीरा | Holi folk songs in Hindi
होली का पर्व रंग-उमंग, मौज-मस्ती, ढोल-ढमाके, गीत-संगीत और खुल कर जीने का होता है। बरसों से होली के अवसर पर लोकगीतों की महफिल सजती आई है। प्रस्तुत है होली के सबसे ज्यादा प्रचलित रसीले लोकगीत ... 
 
अवध में होली खेलैं रघुवीरा।
 
ओ केकरे हाथ ढोलक भल सोहै,
 
केकरे हाथे मंजीरा।
 
राम के हाथ ढोलक भल सोहै,
 
लछिमन हाथे मंजीरा।
 
ए केकरे हाथ कनक पिचकारी
 
ए केकरे हाथे अबीरा।
 
ए भरत के हाथ कनक
 
पिचकारी शत्रुघन हाथे अबीरा।
2. होरी खेलैं राम मिथिलापुर मां
 
मिथिलापुर एक नारि सयानी,
 
सीख देइ सब सखियन का,
 
बहुरि न राम जनकपुर अइहैं,
 
न हम जाब अवधपुर का।।
 
जब सिय साजि समाज चली,
 
लाखौं पिचकारी लै कर मां।
 
मुख मोरि दिहेउ, पग ढील
 
दिहेउ प्रभु बइठौ जाय सिंघासन मां।।
 
हम तौ ठहरी जनकनंदिनी,
 
तुम अवधेश कुमारन मां।
 
सागर काटि सरित लै अउबे,
 
घोरब रंग जहाजन मां।।
 
भरि पिचकारी रंग चलउबै,
 
बूंद परै जस सावन मां।
 
केसर कुसुम, अरगजा चंदन,
 
बोरि दिअब यक्कै पल मां।।
 

3 . सरयू तट पर होली
 
सरजू तट राम खेलैं होली,
 
सरयू  तट।
 
केहिके हाथ कनक पिचकारी,
 
केहिके हाथ अबीर झोली,
 
सरजू तट।
 
राम के हाथ कनक पिचकारी,
 
लछिमन हाथ अबीर झोली,
 
सरजू तट।
 
केहिके हाथे रंग गुलाली,
 
केहिके साथ सखन टोली,
 
सरजू तट।
 
केहिके साथे बहुएं भोली,
 
केहिके साथ सखिन टोली,
 
सरजू तट।
 
सीता के साथे बहुएं भोली,
 
उरमिला साथ सखिन टोली,
 
सरजू तट।



4. आज बिरज में होली रे रसिया,
 
आज बिरज में होली रे रसिया,
 
होली रे रसिया, बरजोरी रे रसिया।
 
उड़त गुलाल लाल भए बादर,
 
केसर रंग में बोरी रे रसिया।
 
बाजत ताल मृदंग झांझ ढप,
 
और मजीरन की जोरी रे रसिया।
 
फेंक गुलाल हाथ पिचकारी,
 
मारत भर भर पिचकारी रे रसिया।
 
इतने आये कुंवरे कन्हैया,
 
उतसों कुंवरि किसोरी रे रसिया।
 
नंदग्राम के जुरे हैं सखा सब,
 
बरसाने की गोरी रे रसिया।
 
दौड़ मिल फाग परस्पर खेलें,
 
कहि कहि होरी होरी रे रसिया।
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