गुरुवार, 28 मार्च 2024
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Written By WD

समझना होगा होली पर्व के पवित्र संदेश को...

समझना होगा होली पर्व के पवित्र संदेश को... - Holi
होलिका दहन क्यों किया जाता है यह सभी जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि होली का त्योहार हमें कौन-सा संदेश देता है। सभी होली की हुड़दंग में स्वयं को खो देते हैं। खाने-पीने और नाच-गाने के बीच हम यह भूल जाते हैं कि असल संदेश क्या है।


 
उस जमाने में एक व्यक्ति था जिसे हिरण्यकश्यप कहते थे, जो स्वयं को अपनी शक्ति के बल पर ईश्‍वर, परमेश्वर या भगवान मानता था और अपने राज्य की जनता से उसे पूजने के लिए कहता था। ज्यादातर लोग डर, लालच या अन्य कारणों से उसे पूजते थे, लेकिन उसके बेटे प्रहलाद ने उसे भगवान मानकर पूजने से स्पष्ट तौर पर इंकार कर दिया। इस इंकार के चलते प्रहलाद को हिरण्यकश्यप ने मारने का भरकस प्रयास किया, लेकिन कहते हैं कि जो एक ही परमेश्वर पर कायम है उसे कोई नहीं मार सकता है।


 
 

आज के दौर में हजारों हिरण्यकश्यप पैदा हो गए है। प्रहलाद कहीं भी नजर नहीं आता। लोग परमेश्वर को छोड़कर व्यक्ति पूजा में लगे हैं। संत, नेता, और अभिनेताओं की मूर्ति बनाकर उन्हें पूजा जा रहा है। लोगों के घरों में भगवान के नहीं तथाकथित संतों के बड़े-बड़े फोटो या पोस्टर मिल जाएंगे। तथाकथित संतों के चित्र को हार-फूल चढ़ाकर उनकी अगरबत्ती से पूजा की जाती है। जो लोग इस तरह के क्रिया-कर्म के पक्ष में तर्क देते हैं वे मूढ़जन नहीं जानते कि प्रलयकाल में उनका क्या हश्र होने वाला है।


 
होली का त्योहार स्पष्ट संदेश देता है कि ईश्वर से बढ़कर कोई नहीं होता। सारे देवता, दानव, पितर और मानव उसी के अधीन है। जो उस परमतत्व को छोड़कर अन्य में मन रमाता है वह होली के त्योहार के संदेश को नहीं समझता। ऐसा व्यक्ति संसार की आग में जलता रहता है और उसे बचाने वाला कोई नहीं है।