हिन्दी कविता : एक निवेदन इन्द्र देवता से
हे इन्द्र देवता
बार-बार, बार-बार
मेरा मन मुझसे
यह पूछ रहा है
क्या तुम्हारा कैलेंडर
गलत छप गया है
यदि नहीं? तो फिर
क्यों फागुन में
सावन गीत गा रहे हो
धरती पर बारिश
करवा रहे हो।
तुम्हारी इस बचकानी
हरकत पर
लाखों ग्रामदेवता रो रहे हैं
अनेक शिशु भूखे पेट सो रहे हैं।
हे स्वर्गाधिराज यदि तुम
देवता हो स्वर्ग के
तो ये अन्नदाता भी
देवता हैं हर उस व्यक्ति के
जो जिसका धर्म भूख है
और ईमान है रोटी
भगवान
तो फिर कम से कम
अपने कुनबे का
सम्मान करो
अपनी ताकत पर
न इतना अभिमान करो
हे ऊपर के देवता
हमारे इस धरती के
देवता को क्यों रुलाते हो
तुम हमारे और ग्रामदेवता के
सम्मिलित कष्ट को
क्यों नहीं समझ पाते हो
ये बेमौसम की बारिश