स्मृति एक वसंत की
- श्रीमती रश्मि रमानी
इतनी लंबी जिंदगी में गुजर गया सबकुछ अपनी रफ्तार से वक्त, बेवक्त। ठहर गया सिर्फ एक लम्हायाद रहा बस एक पल महसूस किया एक मौसम जिंदगी को जिया घड़ी, दो घड़ी। अपने अतीत को जब भी याद किया याद आई बस उस दिन की जब, हर तरफ वसंत ही वसंत था हां सबकुछ खो जाने के बाद मेरे पास शेष है स्मृति एक वसंत की।