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Written By WD

शब्द महिमा

अमित पारनेरकर

Hindi Poem | शब्द महिमा
संस्कृत मेरी जननी है
देवनागरी मेरी लिपि है

मैं निराकार हूं
जो आकार दोगे सो बन जाऊंगा
विचारों में तुम्हारे ढल जाऊंगा

मैं, 'मेरा' से रिश्ते तोड़ दूं
हम, हमारा, सबका से ह्रदय जोड़ दूं

जो व्याख्या करो तो वाक्य बना दूं
जो रचना करो तो काव्य बना दूं

“भारत छोड़ो” के नारे से अंग्रेजों को भगा दूं
“वंदे मातरम” से रक्त संचार बढ़ा दूं

मेरा तुम उपहास ना करना
मै वो हूं जो इतिहास बदल दूं
“ध” का “मा” हो तो प्राण हर लूं

मुझे उपयोग करने में ना हो मुश्किल कभी
“सत्य” “सरल” “सुंदर” “सही”, पहचान मेरी यही सही॥