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कुछ हाइकू रचनाएं...
हाइकु-1
सूखी फसलें
दरकते विश्वास
तुमसे आस
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नोंचते गिद्ध
जिस्म की नुमाइश
खुले पैबंद
काला काजल
सुंदरता सौ गुनी
गोरी की मांग
ये विषधर
प्रश्नों पे प्रश्नचिन्ह
उत्तर नहीं
रेंकते टीवी
खबरों की नीलामी
इज्जत बिकी
मन है बैरी
याद करता तुम्हें
प्यार के लम्हें
मन मयूर
जैसे नाचा हो मोर
उठे हिलोर
सीधा-सरल
निष्कपट निर्दोष
पिया गरल
शर्मिंदा हूं मैं
सभ्य लोगों के बीच
क्यों जिन्दा हूं मैं
गर्व से लदा
तुम्हारा अहंकार
बना व्यापार
तड़पे बच्चे
मां है अस्पताल में
पेट में भूख
कांधे पे लाश
कई मील पैदल
बेटी उदास