गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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हिन्दी कविता : वृद्धाश्रम‌

हिन्दी कविता : वृद्धाश्रम‌ - Senior Citizen Poems
दुर्बल-निर्बल जेठे-स्याने,
वृद्धाश्रम में रहते क्यों हैं?
दूर हुए क्यों परिवारों से,
दु:ख तकलीफें सहते क्यों हैं?


 

 
इनके बेटे, पोते, नाती,
घर में पड़े ऐश करते हैं,
और जमाने की तकलीफें,
ये बेचारे सहते क्यों हैं?
 
इन सबने बच्चों को पाला,
यथायोग्य शिक्षा दी है,
ये मजबूत किले थे घर के,
टूट-टूट अब ढहते क्यों हैं?
 
इसका उत्तर सीधा-सादा,
पश्चिम का भारत आना है,
पश्चिम ने तो मात-पिता को,
केवल एक वस्तु माना है।
 
चीज पुरानी हो जाने पर,
उसको बाहर कर देते हैं,
इसी तरह से मात-पिता को,
वृद्धाश्रम में धर देते हैं।