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एक शहीद का अंतिम पत्र - मां, तेरे बेटे ने वक्षस्थल पर गोली खाई है...

एक शहीद का अंतिम पत्र - मां, तेरे बेटे ने वक्षस्थल पर गोली खाई है... - poem on shaheed
अपने शोणित से मां ये अंतिम पत्र तुझे अर्पित है,
मां भारती के चरणों में मां ये शीश समर्पित है।


 

 
मां रणभूमि में पुत्र ये तेरा आज खड़ा है,
शत्रु के सीने पर पैर जमा ये खूब लड़ा है।
 
कहा था एक दिन मां तूने कि पीठ पे गोली मत खाना,
शत्रु दमन से पहले घर वापस मत आ जाना।
 
सौ शत्रुओं के सीने में मैंने गोली आज उतारी है,
मां तेरे बेटे ने की शत्रु सिंहों की सवारी है।
 
भारत मां की रक्षा कर तेरे दूध की लाज बचाई है,
मां तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
 
मातृभूमि की धूल लपेटे तेरा पुत्र शत्रु पर भारी है,
रक्त की होली खेल शत्रु की पूरी सेना मारी है।
 
वक्षस्थल मेरा छलनी है लहूलुहां मैं लेटा हूं,
गर्व मुझे है मां तुझ पर मैं सिंहनी का बेटा हूं।
 
मत रोना तू मौत पे मेरी तू शेर की माई है,
मां तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
 
पिता आज गर्वित होंगे अपने बेटे की गाथा पर,
रक्त तिलक जब देखेंगे वो अपने बेटे के माथे पर।
 
उनसे कहना मौत पे मेरी आंखें नम न हो पाएं,
स्मृत करके पुत्र की यादें आंसू पलक न ढलकाएं।
 
अब भी उनके चरणों में हूं, महज शरीर की विदाई है,
मां तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
 
उससे कहना धैर्य न खोए, है नहीं अभागन वो,
दे सिन्दूर मां भारती को बनी है सदा सुहागन वो।
 
कहना उससे अश्रुसिंचित कर न आंख भिगोए वो,
अगले जनम में फिर मिलेंगे मेरी बाट संजोए वो।
 
श्रृंगारों के सावन में मिलेंगे जहां अमराई है,
मां तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
 
स्मृतियों के पदचाप अनुज मेरे अंतर में अंकित हैं,
स्नेहशिक्त तेरा चेहरा क्या देखूंगा मन शंकित है।
 
हृदय भले ही बिंधा है मेरा, रुधिर मगर ये तेरा है,
अगले जनम तू होगा सहोदर, पक्का वादा मेरा है।
 
तुम न रहोगे साथ में मेरे कैसी ये तन्हाई है,
मां से कहना मैंने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
 
बहिन नहीं तू बेटी मेरी, अब किसको राखी बांधेगी,
भैया-भैया चिल्लाकर कैसे तू अब नाचेगी।
 
सोचा था कांधे पर डोली रख तेरी विदा कराऊंगा,
माथे तिलक लगा इस सावन राखी बंधवाऊंगा।
 
बहना तू बिलकुल मत रोना, तू मेरे हृदय समाई है,
मां से कहना मैंने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
 
पापा-पापा कहकर जो मेरे कांधे चढ़ जाती थी,
प्यारभरी लोरी सुनकर वो गोदी में सो जाती थी।
 
कल जब तिरंगे में लिपटे उसके पापा आएंगे,
कहना उससे उसको पापा परियों के देश घुमाएंगे।
 
उसको सदा खुश रखना वो मेरी परछाईं है,
मां तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
 
मां भारती के भाल पर रक्त तिलक चढ़ाता हूं,
अंतिम प्रणाम अब सबको महाप्रयाण पर जाता हूं।
 
तेरी कोख से फिर जन्मूंगा ये अंतिम नहीं विदाई है,
मां तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
 
(सभी शहीदों को समर्पित)
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