शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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Written By Author राकेशधर द्विवेदी

हिन्दी कविता : दम तोड़ती संवेदनाएं

हिन्दी कविता : दम तोड़ती संवेदनाएं - Poem in Hindi
शहर के व्यस्ततम चौराहे पर
एक व्यक्ति दम तोड़ रहा था।
पास ही के एक अस्पताल के
गेट पर एक वृद्ध व्यक्ति रो रहा था।


 
 
 
पर जिसे देखकर न था कोई हैरान
और न कोई परेशान
लोग दौड़ रहे थे, भाग रहे थे
इसे रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा
मान रहे थे।
 
कोई एक पल भी सुनने को
नहीं है तैयार
क्यों लुट गई है जिंदगी
क्यों लुट गया है प्यार।
 
क्यों‍कि संवेदनाएं अब
बीते जमाने की चीज हैं
वर्तमान में यह आउट डेटेड
कमीज है।
 
भावुकता, पीड़ा और सहृदयता
अब शब्दकोष के शब्द हैं
वर्तमान समय में यह
समझे जा रहे अपशब्द हैं।