कविता : ऋतु आई बसंत
ऋतु आई है बसंत, महकने लगी जवानी
कलियां खिलने वाली हैं, दे जाएंगी नई निशानी
आंखे चंचल होती हैं, यौवन में आया निखार
जोश जवानी भर के, हंस के चढ़ा खुमार
कोई बसा है दिल में, जिसकी बनी दीवानी
यौवन जब-जब धड़के, कलियां हैं मुस्काती
आंखों से इशारा करके, खुद हैं पास बुलाती
मन में वही अभिलाषा है, बन जाए जल्द कहानी