शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By शम्भू नाथ

हिन्दी कविता : संघर्ष

हिन्दी कविता : संघर्ष - Poem
संघर्ष ही जीवन का मूल एहसास है, 
कौन कहता है संघर्ष का नहीं साथ है।
 
बचपन बड़प्पन में हंस के गुजारा, 
जवानी में कइयों पर तीर मारा।

हरदम हमेशा देखा प्रभात है,  
संघर्ष ही जीवन का मूल एहसास है।
कौन कहता है संघर्ष का नहीं साथ है।।
 
पढ़ लिख कर के करता कमाई, 
बीवी से कभी-कभी होती लड़ाई।
बहू-पोते कहते दादा नवाब हैं, 
संघर्ष ही जीवन का मूल एहसास है।
कौन कहता है, संघर्ष का नहीं साथ है।।