हिन्दी कविता : ख्वाबों से रिश्ते
संजय वर्मा "दृष्टि "
इशारों से जब दिल की बात बताएं,
लोग कहते हैं ये अदाओं का जमाना है।
परिंदे ने जब प्रेम के पंख फैलाए,
लोग भला उसे क्यूं कहते दीवाना है।
झरने बिन पानी भला कैसे शोर मचाएं,
सागर का तो किनारों पर शोर मचाना है ।
बीते संग पलों से मन का विश्वास बढ़ाएं
बिछड़े दर्द को अब तो आंखों से ना रुलाना है।
प्रकृति के गवाहों, ये बातें कैसे बताएं,
ख्वाबों से हमने बना लिए रिश्ते उन्हें अब सजाना है।
तितलियों को मौसम की नजाकत कैसे बताएं,
छुपाकर रखी फूलों की खुशबू, उन्हें आंधियों से बचाना है।