गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. nai kavita in hindi
Written By

नई कविता : आवाज

नई कविता : आवाज - nai kavita in hindi
देवेन्द्र सोनी
बढ़ती उम्र के साथ ही
कितनी सहजता से दबा दी जाती है
आवाज हमारी 
हमसे भी ज्यादा ऊंची आवाज करके।
 
कितने मजबूर हो जाते हैं न हम
बच्चों की उचित-अनुचित 
जिद्द और सुनहरे आकर्षण के आगे
मान लेते हैं उनकी हर बात 
चाहे-अनचाहे मोह या 
अज्ञात भय के कारण।
 
दब कर रह जाती है - 
हमारी धीमी पड़ती आवाज 
उनकी चिल्लाहट और धमकी से
जो करती है अक्सर ही
राह से भटका देने का काम 
पर इसे भी देखकर, 
अनदेखा करते हैं हम।
 
कहना सरल है कि हम रखें
अपनी आवाज बुलंद हरदम,
बांधें उन्हें लक्ष्मण रेखा से, पर 
लांघी तो जाती है यह भी।
 
आवाज - मद्धिम हो, तेज हो
पर यदि है वह नियंत्रण में 
प्रारंभ से ही, तो यकीन मानिए - 
रह सकता है, मान 
लक्ष्मण रेखा का भी और 
बच सकते हैं हम सब
सुनहरे मृग के झूठे आकर्षण से।
 
टल सकता है फिर संभावित
गृह युद्ध हमेशा-हमेशा के लिए 
बस एक आवाज के  
नियंत्रण मात्र से ।
ये भी पढ़ें
किसान आंदोलन पर कविता : क्या वो किसान थे..