अमरनाथ आतंकी हमले पर कविता : हे शिव शम्भू...
हे शिव शम्भू इस श्रावण में कैसे तेरा गुणगान करूं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करूं।
निर्दोषों की बलि चढ़ाकर अत्याचारी मुस्काते हैं।
तेरे मंदिर के रस्ते में मासूम गोली से भूने जाते हैं।
हे शिव शंकर आतंकी मंसूबों को कैसे नाकाम करूं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करूं।
तेरे चरणों की भक्ति प्राणों का संताप हरे।
तेरी पूजा इस जीवन में नव ऊर्जा संचार करे।
हे शिव शंकर इन दुष्टों का कैसे काम तमाम करूं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करूं।
इस सावन में हे प्रभुजी मेरी ये सुनवाई हो।
जिंदा दफन हो जाए जमीं में जिसने गोली चलाई हो।
दुष्ट दरिंदों का मैं कैसे कत्लेआम करूं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करूं।
हे शिव शम्भू इस श्रावण में कैसे तेरा गुणगान करूं।
भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करूं।