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Written By WD

वाणी प्रकाशन की स्थापना के 51 वर्ष पर समारोह आज

वाणी प्रकाशन की स्थापना के 51 वर्ष पर समारोह आज - The celebration of Vani Prakashan
22 मई 2015 को वाणी प्रकाशन की स्थापना के 51 वर्ष हो रहे हैं। इस अवसर पर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स, सेमिनार कक्ष-2 मैक्स म्युलर मार्ग, नई दिल्ली-110003 में शाम 6 बजे 'वाणी प्रकाशन स्थापना दिवस समारोह' आयोजित है। 


 

 
कार्यक्रम में 'कहानी किताब की' / Ethnograpic History of Books' विषय पर वरिष्ठ पत्रकार व प्रसार भारती की पूर्व निदेशक मृणाल पाण्डे, वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक व समाजशास्त्री आशीष नन्दी और विकासशील समाज अध्ययन पीठ के फेलो व भारतीय भाषा कार्यक्रम के निदेशक अभय कुमार दुबे का सान्निध्य रहेगा। 
 
51वर्षों की साहित्यिक सफल परम्परा को कायम रखते हुए वाणी प्रकाशन  द्वारा वर्ष 2014 में वाणी न्यास की स्थापना की गई थी। वाणी न्यास की स्थापना प्रख्यात शायर और फिल्मकार गुलज़ार साहब द्वारा सम्पन्न हुई थी। वाणी न्यास द्वारा हिन्दी और भारतीय भाषाओं को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए कार्य किए हैं। न्यास के ट्रस्टी श्रीमती नमिता गोखले, वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी व श्री बिमलेंद्र मोहन मिश्र हैं।
 
वाणी प्रकाशन 51 वर्षों से हिन्दी का गौरवशाली प्रकाशक गृह रहा है। वाणी प्रकाशन द्वारा महान साहित्यकारों की रचनाएं प्रकाशित की गई हैं जिसमें साहित्य जगत की अमूल्य धरोहरें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन द्वारा अब तक 20 से अधिक विधाओं में लगभग 4500 पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी है।  
 
वाणी प्रकाशन की नींव अध्यापक व लेखक श्री प्रेमचन्द्र 'महेश' द्वारा वर्ष 1964 में रखी गई थी। श्री प्रेमचन्द्र 'महेश' 19 वर्ष की उम्र में हापुड़ (उ. प्र.) के इंटर कॉलेज में हिन्दी के अध्यापक हो गए थे। 22 वर्ष की उम्र में उनके उपन्यास 'हर्षवर्द्धन' को भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया। आपने अध्यापन, प्रकाशन, अंग्रेज़ी हटाओ आंदोलन के साथ-साथ हस्तलिखित 'प्रगति' पत्रिका ही नहीं निकाली बल्कि अपना रचनात्मक लेखन यथा उपन्यास, कविता एवं शोध-परक लेखन भी जारी रखा। आपका निधन 2 जून 1978 को मात्र 42 वर्ष की अल्पायु में हुआ।  मरणोपरांत मेरठ विश्वविद्यालय ने आपके शोध प्रबंध 'हिन्दी रामकाव्य का स्वरुप एवं इतिहास' पर आपको पीएच डी की उपाधि प्रदान की गई।  वाणी प्रकाशन की स्थापना के पीछे उद्देश्य केवल व्यवसाय न होकर सामाजिक दायित्व के साथ आगे बढ़ना है। 
 
सुश्री मृणाल पाण्डे वरिष्ठ पत्रकार, प्रख्यात लेखिका,प्रसार भारती की पूर्व निदेशक एवं भारतीय टेलीविजन की जानी-मानी हस्ती हैं। मृणाल पाण्डे को साहित्यानुराग विरासत में मिला है। उनकी मां शिवानी जानी-मानी उपन्यासकार एवं लेखिका थीं। श्रीमती मृणाल पाण्डे ने अपनी कहानियों में शहरी जीवन और सामाजिक परिवेश में महिलाओं की स्थिति को केंद्रीय विषय बनाया है साथ ही उनकी कहानियों में तेजी से बदलते सामाजिक परिवेश, रिश्तों की उधेड़-बुन की प्रमुखता से नजर आती है। मृणाल पाण्डे अगस्त 2009 तक हिन्दी दैनिक 'हिन्दुस्तान' समाचार पत्र की सम्पादक रह चुकी है। आप हिन्दुस्तान टाइम्स के हिन्दी प्रकाशन समूह की सदस्या भी हैं। इसके अलावा मृणाल पाण्डे लोकसभा चैनल के साप्ताहिक साक्षात्कार कार्यक्रम (बातों बातों में) का संचालन भी करती हैं।  वाणी प्रकाशन से सुश्री मृणाल पाण्डे द्वारा लिखित  पुस्तक 'पांच बेहतरीन कहानियाँ' प्रकाशित हैं।
 
आशीष नन्दी प्रसिद्द राजनीतिक मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्री और वरिष्ठ आलोचक हैं। आपने यूरोपीय उपनिवेशवाद, आधुनिकता, धर्मनिरपेक्षता, विकास, हिन्दुत्व, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, विश्वबंधुत्व, और स्वप्नलोक जैसे विषयों पर सैद्धांतिक आलोचनात्मक लेख लिखे हैं। साथ ही आपने विश्वबंधुत्व और आलोचनात्मक परम्परावाद के सम्बन्ध में भी अपनी लेखनी के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के व्यावसायिक सिनेमा के सन्दर्भ में आशीष नंदी ने ऐतिहासिक वर्णन प्रस्तुत किए हैं। आशीष नन्दी कई वर्षों तक विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) के वरिष्ठ फेलो और निदेशक रह चुके हैं। वर्तमान समय में आप 'कल्चरल चॉइसेस एंड ग्लोबल फ्यूचर्स' समिति के अध्यक्ष हैं। आप वर्ष 2007 में 'फुकुओका एशियाई संस्कृति पुरस्कार' से सम्मानित किये जा चुके हैं। वाणी प्रकाशन से श्री आशीष नन्दी द्वारा लिखित पुस्तक 'राष्ट्रवाद बनाम देशभक्त' प्रकाशित हैं।
अभय कुमार दुबे विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) में फेलो और भारतीय भाषा कार्यक्रम के निदेशक हैं। पिछले दस साल से हिन्दी-रचनाशीलता और आधुनिक विचारों की अन्योन्यक्रिया का अध्ययन किया है। 
 
समाज-विज्ञान को हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में लाने की परियोजना के तहत पन्द्रह ग्रन्थों का सम्पादन और प्रस्तुति की है। कई विख्यात विद्वानों की रचनाओं के अनुवाद किए हैं। समाज-विज्ञान और मानविकी की पूर्व-समीक्षित पत्रिका ‘प्रतिमान समय समाज संस्कृति के सम्पादक हैं। टी. वी. चैनल पर राजनीतिक समीक्षक के रूप में नियमित भागीदारी निभाते हैं। वाणी प्रकाशन से श्री अभय कुमार दुबे द्वारा लिखित व सम्पादित पुस्तकें 'आधुनिकता के आईने में दलित', 'बीच बहस में सेकुलरवाद', 'भारत का भूमंडलीकरण', 'लोकतंत्र के सात अध्याय', हिन्दी में हम' प्रकाशित की गई हैं। समस्त जानकारी वाणी प्रकाशन के कॉपीराइट व अनुवाद विभाग की निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने प्रदान की।