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इंदौर साहित्य महोत्सव 2017 : मार्मिक रचनापाठ के साथ संपन्न हुआ समापन

इंदौर साहित्य महोत्सव 2017 : मार्मिक रचनापाठ के साथ संपन्न हुआ समापन - Indore Literature Festival
इंदौर साहित्य महोत्सव 2017 के अंतिम दिन समापन के अवसर पर मध्यप्रदेश की ख्यातनाम लेखिकाओं ने रचना पाठ किया। इनमें भोपाल से पधारी उर्मिला शिरीष, डॉ. किसलय पंचोली, स्वाति तिवारी, मीनाक्षी स्वामी, जीवन सिंह ठाकुर शामिल रहे। कवि आशुतोष दुबे ने अपनी मोहक कविताओं का वाचन किया।

कार्यक्रम के आरंभ में डॉ. किसलय पंचोली ने अपनी कहानी महतारी का वाचन किया। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे एक मां अपनी संतान से भरण पोषण का मुकदमा लड़ते हुए भी  उसकी सलामती के लिए छट मैया का निराहार व्रत करती है और वकील के इस बात पर खीजने पर जवाब देती है कि वह तो संतान है कुछ भी कर सकता है पर मैं तो महतारी हूं, मैं ऐसा नहीं कर सकती और न ही मुझे ऐसा करना चाहिए।

अत्यंत मार्मिक ढंग से सुनाई डॉ. किसलय की कहानी को दर्शकों द्वारा पसंद किया गया। इसके पश्चात डॉ. स्वाति तिवारी ने कथा वाचन किया।

तत्पश्चात भूभल उपन्यास की कथाकार डॉ. मीनाक्षी स्वामी ने 'काटा है' कथा का वाचन किया। पतंग के पेंच और मकर-संक्रांति के बहाने रिश्तों के मनोविज्ञान की पड़ताल करती उनकी कहानी खासी असरकारक रही।

तत्पश्चात 'स्पंदन' संस्था की निदेशक व लेखिका उर्मिला शिरीष ने अपनी कहानी राग-विराग का वाचन किया। पौधे, पशु- पक्षी, घर के नौकर-चाकर से स्नेह करती मां का चित्रण करती उनकी कहानी मर्मस्पर्शी बन पड़ी।

देवास से आए कथाकार जीवन सिंह ठाकुर की कहानी परस्पर रिश्तों के साथ जातिवाद और मध्यमवर्गीय सोच को रेखांकित करती प्रभावी बन पड़ी। 
 
कवि आशुतोष दुबे ने अपनी कविता 'जो  जा रहा है उसे जाने दो मत रोको,  अगर रूक भी गया तो वह कहां रूक सकेगा वह मन से तो जा ही चुका है.... उन्होंने प्रेम चित्रण करती भावुक रचनाएं प्रस्तुत की। अंत में साहित्य उत्सव के सूत्रधार प्रवीण शर्मा ने औपचारिक रूप से सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार व्यक्त किया।