शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. पुस्तक-समीक्षा
  4. devlok with devdutt pattanaik book in hindi
Written By
Last Updated : शनिवार, 3 जून 2017 (18:12 IST)

देवलोक 2 - देवदत्त पटनायक के संग

देवलोक 2 - देवदत्त पटनायक के संग - devlok with devdutt pattanaik book in hindi
आपमें से कितने लोग जानते हैं कि महाभारत का कुटुंब सूर्यवंशी है या चंद्रवंशी? या रामायण किस युग में घटी? या पूजा की थाली में हल्दी-कुमकुम का क्या महत्व है? अगर आपको इन सवालों के जवाब जानना हैं तो यह किताब आपके लिए है।

एपिक चैनल पर लेखक देवदत्त पटनायक के लोकप्रिय कार्यक्रम “देवलोक - देवदत्त पटनायक के संग”  के दूसरे सीजन पर आधारित पुस्तक “देवलोक - देवदत्त पटनायक के संग” हाल ही में प्रकाशित हुई है। पेंगुइन बुक्स और मंजुल पब्लिशिंग हाउस के सह-प्रकाशन में प्रस्तुत इस पुस्तक का रूपांतरण व प्रस्तुतिकरण रचना भोला यामिनी ने किया है।
 
देवदत्त पटनायक इस पुस्तक में पौराणिक गाथाओं की जीवंत विविधता से परिचित करवाते हुए अपने पाठकों को देवलोक के आख्यानों, अनुष्ठानों, कर्मकांडों, परंपराओं व रीति-रिवाजों, देवी-देवताओं, असुरों, अवतारों व ऋषि-मुनियों की कथाओं और हिंदू मान्यताओं, मिथकों व विचारधाराओं की मंत्रमुग्ध और विस्मित कर देने वाली अनूठी यात्रा का सहभागी बना देते हैं। जब कोई वृक्ष अपनी भव्यता और विशालता के गुमान में अपनी जड़ों को पोषित व सिंचित करना भूल जाता है, उसी दिन से उसकी भव्यता, उर्वरता और विशालता समाप्तप्रायः हो जाते हैं। देवदत्त अपनी लेखनी के माध्यम से उन जड़ों को ही सिंचित करने में अपना योगदान दे रहे हैं जिनके बल पर हमारा संस्कृतिरूपी वृक्ष अपनी पूरी मर्यादा और गरिमा के साथ सीना ताने खड़ा है।
 
अपने प्रशंसकों के बीच माइथोलाजी एक्सपर्ट के नाम से विख्यात देवदत्त जी आख्यानों की अद्भुत व्याख्याओं के बीच रोचक व ज्ञानवर्धक प्रश्नोत्तर शैली में पाठकों को बताते हैं कि ध्यान व दर्शन में क्या अंतर है, हमारे महाकाव्यों में वन और क्षेत्र में क्या अंतर है, आस्तिक और नास्तिक शब्द का वास्तविक अर्थ व अंतर क्या है, आत्मा किसे कहते हैं, पूजन की थाली में हल्दी, कुंकुम व चंदन क्यों रखा जाता है, हनुमान के इतने सारे नामों के पीछे कौन सी कथाएँ छिपी हैं, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में राजा सोने की बुहारी से झाड़ू क्यों लगाते हैं और वहाँ के भोग और महाप्रसाद का क्या महत्व है, पौराणिक गाथाओं में पर्वतों का क्या महत्व है, वैदिक और पुराणकालीन देवी और देवता कौन से हैं, रामायण और महाभारत के कथावाचक कौन थे, हमारे जीवन में सदा लक्ष्मी व सरस्वती के बीच संघर्ष क्यों रहता है, विष्णु के विविध रूपों व अवतारों की क्या कथाएँ हैं, महाभारत में रामायण के किन पात्रों का उल्लेख आता है आदि।
 
पुस्तक की रूपांतरकार रचना भोला यामिनी निर्लिप्त भाव से एक श्रोता की भूमिका से परे शब्दों, व्याकरण, वर्तनी और कथावस्तु के प्रवाह के बीच संतुलन बनाने में सफल रहीं। लिखित शब्दों के गहन व प्रबल प्रभाव की भूमिका को ध्यान में रखते हुए धारावाहिक रूपांतरण का सुंदर निर्वाह हुआ है।
 
पुस्तक में यही प्रयास किया गया है कि कथाओं का मर्म न बदले और पाठक इनमें छिपे तत्वज्ञान को समझ सकें। न केवल पठनीय बल्कि एक संग्रहणीय पुस्तक!
 
पुस्तक : देवलोक : 2 
लेखक : देवदत्त पटनायक 
प्रकाशक : पेंगुइन 
पृष्ठ : 236
मूल्य : 199 रुपए
ये भी पढ़ें
अनन्या बनीं अमेरिका की नेशनल स्पेलिंग बी विनर