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Written By WD

सावधान, एटीएम से निकल रही है मौत की पर्ची!

अत्यंत खतरनाक केमिकल बीपीए दे रहा है बीमारियां

Health | सावधान, एटीएम से निकल रही है मौत की पर्ची!
एटीएम हम सबके जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एटीएम से जो पर्ची आपके बैलेंस का लेखा-जोखा लेकर निकलती है वह आपकी सेहत के लिए भी खतरे का संकेत लेकर आती है? हाल ही में यह जानकारी मिली है कि एटीएम की रसीदों में इस्तेमाल किया जाने वाला केमिकल सेहत के लिए अत्यंत खतरनाक है।

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महाराष्ट्र की डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी में हुई एक रिसर्च के मुताबिक एटीएम की रसीदों पर जो कोटिंग चढ़ाई जाती है उसमें नुकसानदायक रसायन होता है। इसमें बीपीए यानी बायस्फीनॉल-ए नामक केमिकल मिला होता है, जो टॉक्सिक है।


अगले पेज पर : जानिए, क्या है बीपीए?

जानिए, क्या है बीपीए?

बायस्फीनॉल-ए एक केमिकल है। इसका उपयोग कई वस्तुओं में किया जाता है। विशेष रूप से सीडी और डीवीडी, एयर टाइट डिब्बे, वाटर पाइप की लीकेज दुरुस्त करने, स्पोटर्स की चीजें,और खाने के प्रॉडक्ट वाले पैकेट पर कोटिंग चढ़ाने के लिए इसे काम में लाया जाता है।

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एटीएम की पर्ची पर की गई केमिकल कोटिंग मानव शरीर के लिए इसलिए घातक हो सकती है क्योंकि इन पर्चियों पर कुछ भी छापने के लिए थर्मल प्रिंटर का उपयोग किया जाता है। इसमें बीपीए रसायन होता है। इसके लगातार संपर्क में आने से गंभीर बीमारी हो सकती है।

कैसे जाता है शरीर में रसायन



रिसर्च के अनुसार अगर एटीएम पर्ची को को 5 सेकंड तक हाथ में रखा जाए तो 1 माइक्रोग्राम बीपीए हमारी अंगुलियों में लग जाता है। अगर हाथ में नमी हो तो यह और खतरनाक है क्योंकि भीगी अंगुलियों में यह तेजी से काम करता है। 10 घंटे तक लगातार इस पेपर को हाथ मे रखने वाले इंसान के शरीर में 71 माइक्रोग्राम बीपीए प्रवेश कर सकता है।

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अगर आप पर्स में एटीएम पर्ची रखते हैं तो इसकी स्याही के कण पर्स में गिरते रहते हैं और इस तरह पैसे के साथ-साथ पूरे पर्स में बीपीए मौजूद रहता है और आप बार-बार इसे छुएगें यानी लगातार खतरे के संपर्क में बने रहेगें।

इसी तरह अगर पानी के पाइप लाइन में लीकेज हो तो इसे बंद करने के लिए हम लोग पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं, इस पेस्ट का रसायन यानी बीपीए पानी के साथ हमारे पेट में पहुंच जाता है।

एटीएम पर्ची से निकले कैसे-कैसे खतरे


अगर गर्भवती महिला पर्ची के लगातार संपर्क में है तो यह घातक रसायन महिला के खून में मिलकर प्लेसेंटा में जा सकता है और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है। शिशु के लीवर पर असर हो सकता है, क्योंकि बच्चे में डिटॉक्सीफाई करने वाले एंजाइम नहीं होते हैं।

बीमारियां अभी बाकी हैं ....

कहा जा रहा है कि इस पर्ची से स्तन कैंसर के साथ-साथ वजन बढ़ना, मधुमेह, प्रतिरोधक क्षमता का कम होना जैसी परेशानियां सामने आ रही हैं।

बोतलों में बीपीए की पहचान
यूं तो बेहतर है कि इससे दूर ही रहा जाए मगर पर्ची के अतिरिक्त यह रसायन जिन बोतलों में पाया जाता है उसकी पहचान की जा सकती है। हर बोतल के नीचे या पीछे किसी हिस्से में एक त्रिकोण बना होता है और त्रिकोण के अंदर डिजिट में 1 लिखा होता है और उसके नीचे pet लिखा होता है, इसका मतलब है कि बॉटल बीपीए फ्री है। लेकिन जिस त्रिकोण में 07 और नीचे pl लिखा होता है उसमें बीपीए होता है।

बीपीए का इस्तेमाल कब से हो रहा है

1957 से बायस्फीनॉल-ए (बीपीए) इस्तेमाल हो रहा है। इसे बोतल को एयर टाइट करने, बच्चों के दूध पीने की बोतल में और पानी के लीकेज को बंद करने वाले पेस्ट में खूब प्रयोग किया जा रहा है। भारत में भी इसका प्रयोग काफी समय से हो रहा है। डॉक्टरों का एक बड़ा वर्ग इसके बढ़ते इस्तेमाल से चिंतित है। जरूरत इस बात की है कि लोगों को इस बारे में जल्द से जल्द बताया जाए और इसके अन्य विकल्प पर विचार किया जाए।

बीपीए एक ऐसा केमिकल है जो नष्ट भी नहीं होता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और प्राकृतिक उत्पाद के साथ मिलकर पुन: हमारे भीतर तक पहुंच जाता है। हालांकि इससे इतना डरने की भी जरूरत नहीं है, बस थोड़ा सावधान रहें और जहां तक हो सके पर्ची को तुरंत वहीं डस्टबीन के हवाले कर आगे बढ़ जाएं।