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Written By WD

एड्स से पीड़‍ित देशों में भारत तीसरे नंबर पर

एड्स से पीड़‍ित देशों में भारत तीसरे नंबर पर - World AIDS Day
प्रस्तुति : निवेदिता 
1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस है। एड्स एक खतरनाक बीमारी है, मूलतः असुरक्षित यौन संबंध बनाने से एड्स के जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इस बीमारी का काफी देर बाद पता चलता है और मरीज भी एचआईवी टेस्ट के प्रति सजग नहीं रहते, इसलिए अन्य बीमारी का भ्रम बना रहता है।
 
एड्स का पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम।' न्यूयॉर्क में 1981 में इसके बारे में पहली बार पता चला, जब कुछ 'समलिंगी यौन क्रिया' के शौकीन अपना इलाज कराने डॉक्टर के पास गए।
 
इलाज के बाद भी रोग ज्यों का त्यों रहा और रोगी बच नहीं पाए, तो डॉक्टरों ने परीक्षण कर देखा कि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो चुकी थी। फिर इसके ऊपर शोध हुए, तब तक यह कई देशों में जबरदस्त रूप से फैल चुकी थी और इसे नाम दिया गया 'एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम' यानी एड्स।
 
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organization) WHO के अनुसार सन 2013  में दुनियाभर में करीब 35 मिलियन लोग HIV/AIDS के शिकार थे जिनमें बच्चों की संख्या 3.2 मिलियन थी। WHO के अनुसार करीब 2.1 मिलियन नए लोग HIV की गिरफ्त में आए थे। 
 
UNAIDS की एक रिपोर्ट के हिसाब से कुल 35 मिलियन HIV/AIDS ग्रसित लोगों में से 19 मिलियन लोगों को यह पता नहीं हैं कि उनमें यह वायरस मौजूद है। HIV के ज्यादातर मरीज कम या मध्यम आय वाले देशों में होते हैं। WHO के अनुसार सब सहारा अफ्रीका में HIV के सबसे ज्यादा मरीज यानी 24.7 मिलियन मरीज हैं और यह आकंडा पूरी दुनिया में पाए जाने वाले मरीजों का 71 प्रतिशत है। 
 
भारत में 2.1 मिलियन लोग HIV से ग्रसित हैं और इस आंकडे के साथ पूरी दुनिया में पाए जाने वाले मरीजों वाले देशों में इसका तीसरा नबंर है। 
 
UN (United Nations) की एक रिपोर्ट के अनुसार, एशिया-पेसिफिक रीजन में पाए जाने वाले  कुल HIV के मरीजों के 40 प्रतिशत मरीज भारत में होते हैं। एशिया-पेसिफिक रीजन के कुल मरीजों में से 90 प्रतिशत लोग भारत, चायना, इंडोनीजिया, म्यांमार, थाइलैंड और विएतनाम में रहते हैं। 
 
भारत में HIV इंफेक्शन के नए मामलों में 19 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है पर फिर भी यहां नए मरीज का प्रतिशत एशिया-पेसिफिक रीजने में पनपने वाले नए मामलों का 38 प्रतिशत है। भारत में HIV के करीब 64 प्रतिशत मरीजों को एंटीरेट्रोवियल थेरेपी से इलाज नहीं मिल पाता। भारत में AIDS से होने वाली मौतों में 2005 और 2013 के बीच 38 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान HIV के इलाज की उपलब्धता में वृद्धि दर्ज की गई थी। 
 
सन 2013 के अंत तक 7 लाख लोगों से ज्यादा लोग एंटीरेट्रोविरल थेरेपी ले रहे थे जो कि किसी भी देश में HIV का इलाज लेने वाले मरीजों की संख्या में दूसरे नंबर पर आता है। सेक्स वर्कर महिलाओं में होने वाला HIV इंफेक्शन 10.3 प्रतिशत से 2.7 प्रतिशत पर आ गया है पर यह प्रतिशत आसाम, बिहार और मध्यप्रदेश में बढ़ा है। 
 
विश्व एड्स दिवस पर आप स्कूल, कॉलेज, दोस्तों या फिर सोशल मीडिया जैसे फेसबुक या टि्वटर पर भी चर्चा कर जागरुकता ला सकते हैं। यह दिन आपको सोशल और कल्चरल बाउड्रींज से बाहर निकल कर इस विषय पर जागरुकता बढ़ाने के लिए प्रयासों की आजादी देता है। यह दिन इस बीमारी के इंफेक्शन के शरीर में आने वाले सभी कारणों से आपको अवगत कराकर आपको HIV/AIDS से सुरक्षित रखने में मदद करता है। आप इस दिन Red Ribbon अर्थात लाल फीता, जो इस बीमारी के खिलाफ जंग का चिन्ह है, को पहनकर भी अपना सहयोग प्रदर्शित कर सकते हैं।