उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर की कुछ कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। इस तरह से हमारी नष्ट होती कोशिकाओं को रोकने में सोयाबीन बहुत सहायक होता है। सोयाबीन में पाया जाने वाला प्रोटीन, कई तरह के कैंसर को रोकने में सहयता करता है, अत: सोयाबीन को कैंसर निरोधक भी कहा जाता है।
एक शोध के अनुसार इसमें पाया जाने वाला जेनेस्टीन, स्तन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर को रोकने में सहायक होता है।जेनेस्टीन, कैंसर की किसी भी स्थिति में आंतरिक रूप से सक्रिय होकर उसे बढ़ने से रोकता है। यह एन्जाइना को नष्ट कर देता है, जो बाद में कैंसर जीन में परिवर्तित हो जाते हैं।
वैज्ञानिक बर्ने द्वारा पशुओं पर किए गए एक शोध के अनुसार, सोयाबीन में पाया जाने वाला जेनेस्टीन जब पशुओं को दिया गया, तो उनमें स्तन कैंसर की दर 40 से 65 फीसदी तक कम हो गई। उनके अनुसार महिलाओं में कैंसर अधिक होने का कारण उनके आहार में वसा की अधिकता नहीं, बल्कि सोयाबीन का प्रयोग कम या बिल्कुल नहीं करना है।
मांसाहार से मिलने वाले प्रोटीन की अपेक्षा सोयाबीन से प्राप्त प्रोटीन शरीर के लिए कई गुना अधिक फायदेमंद होता है। अर्थात कैंसर से बचने के लिए महिलाओं को सोयाबीन को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
एक अध्ययन के मुताबिक अमेरिकन महिलाओं की तुलना में केवल एक चौथाई जापानी महिलाओं को ही स्तन कैंसर होता है, क्योंकि वे सोयाबीन का पर्याप्त मात्रा में नियमित सेवन करती हैं।
वहीं एक अन्य शोध के मुताबिक पश्चिमी देशों के मुकाबले जापानी पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर का प्रतिशत बहुत कम होता है। और अगर कैंसर हो भी जाए, तो वह शरीर में तेजी से वृद्धि नहीं कर पाता, और धीरे-धीरे खत्म हो जाता है।
केवल कैंसर ही नहीं, मधुमेह के रोगियों के लिए भी सोयाबीन बहुत फायदेमंद है। यह रक्त में होने वाले विकारों को दूर कर रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। इसके अलावा यह हृदय संबंधित बीमारियों को बढ़ने से रोकता है। सोयाबीन में मौजूद, ग्लीसीन और आरजीनीन इन्सुलिन को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
इसके अलावा सोयाबीन में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो त्वचा और मस्तिष्क के लिए बहुत लाभप्रद हैं। वहीं इसमें रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता भी होती है। इसके अलावा यह रक्त में मौजूद वसा को कम करने में काफी मददगार होता है।