क्या आप जानते हैं 'ॐ' सेहत का भी मंत्र है
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एके रावल 'ॐ' किसी धर्म से जुड़ा न होकर ध्वनिमूलक है। माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में केवल यही एक ध्वनि ब्रह्मांड में गूंजती थी। जब हम 'ॐ' बोलते हैं, तो वस्तुतः हम तीन वर्णों का उच्चारण करते हैं: 'ओ', 'उ' तथा 'म'। 'ओ' मस्तिष्क से, 'उ' हृदय से तथा 'म' नाभि (जीवन) से जुड़ा है।
मन, मस्तिष्क और जीवन के तारतम्य से ही कोई भी काम सफल होता है। 'ॐ' के सतत उच्चारण से इन तीनों में एक रिदम आ जाती है।
जब यह तारतम्य आ जाता है, तो व्यक्ति का व्यक्तित्व पूर्ण हो जाता है। उसका आभामंडल शक्तिशाली हो जाता है, इंद्रियां अंतरमुखी हो जाती हैं। जैसे किसी पेड़ को ऊंचा उठने के लिए जमीन की गहराइयों तक जाना पड़ता है, ठीक उसी तरह व्यक्ति को अपने भीतर की गहराइयों में झाँकने हेतु (अपने संपूर्ण विकास के लिए) 'ॐ' का सतत जाप बहुत मदद करता है। ॐ आध्यात्मिक साधना है। इससे हम विपदा, कष्ट, विघ्नों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।