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Written By WD

जानना जरूरी है सेहत से जुड़ी 8 काम की बातें...

Golden Tips for Health | सेहत से जुड़ी 8 काम की जान‍कारियां...
अच्छी सेहत का राज आपकी खुशियों में निहित है या खुशियों का राज आपकी सेहत में छुपा है....इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है। हम सभी बेहतरीन स्वास्थ्य चाहते हैं लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में कई ऐसी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं जो सेहत की दृष्टि से खतरनाक साबित हो सकती है। आइए नजर डालते हैं 8 ऐसी जानकारियों पर जिन्हें जानना हम सबके लिए जरूरी है- 



नींद में खर्राटे लेने की आदत से आप न केवल अपने साथी की नाराजगी का शिकार हो सकते हैं वरन इससे आपके शरीर पर अन्य बहुत से दुष्प्रभाव भी पड़ते हैं। इससे आपकी देखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। हाल ही में ताइवान में शोधकर्ताओं ने घोषणा की है कि नींद में खर्राटे लेने वाले लोगों को आम लोगों की तुलना में ग्लूकोमा होने का लगभग दो गुना खतरा होता है।

 
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करीब 30 लाख ब्रिटेनवासी नींद में खर्राटे लेते हैं। नींद में खर्राटे लेने का कारण यह होता है कि गले की मांसपेशियों के ऊतक समाप्त हो जाते हैं, जिससे खर्राटे की आवाज पैदा होती है। कभी-कभी सांस भी बंद हो जाती है और व्यक्ति घबराकर नींद से जाग जाता है।

ताइवानी वैज्ञानिकों ने खर्राटे लेने वाले एक हजार लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और इनके अलावा 6 हजार ऐसे लोगों के भी आंकड़े एकत्र किए गए जोकि खर्राटे नहीं लेते थे। पर जो लोग इसके शिकार थे उनमें से 1.67 अधिक अवसरों पर ग्लूकोमा होने की संभावना थी। इस स्थिति के पैदा होने से लोगों को दिखना बंद हो जाता है क्योंकि यह आइबॉल की देखने की शक्ति को धीरे-धीरे कम कर देती है। और भी मुश्किलें हैं खर्राटों से... पढ़ें अगले पेज पर....
शोधकर्ताओं का मानना है कि नींद में खर्राटे लेने से आंखों में पहुंचने वाली ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और इस कारण से ग्लकोमा का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मामले में और अधिक शोध की जरूरत है। लेकिन, इतना तय है कि खर्राटे लेने की समस्या से केवल एक यही समस्या नहीं पैदा होती है वरन और भी कई बीमारियां हो सकती हैं।


नींद में खर्राटे लेने से मस्तिष्क आघात और हृदयाघात का भी खतरा बढ़ जाता है। खर्राटों के कारण कैरोटिड आर्टरीज (धमनियों) के और अधिक सिकुड़ जाने का खतरा होता है। उल्लेखनीय है कि गर्दन में पाई जाने वाली इन धमनियों के कारण मस्तिष्क में ऑक्सीजेनेटेड रक्त की आपूर्ति की जाती है। यूनिवर्सिटी ऑफ डेट्रॉयट ने शोधकर्ताओं का कहना है कि खर्राटों की वाइब्रेशन्स (कम्पन्स) से जो ट्रॉमा (मानसिक कष्ट) पैदा होता है, उससे एक तरह की जलन पैदा होती है और यह जलन धमनियों को मोटा बना सकती है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति आथरोस्केलोसिस की पहली स्टेज होती है। इस स्थिति में धमनी कड़ी और फरदार हो जाती है। इससे मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है ‍‍क‍ि इस संबंध को सिद्ध करने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है।

खर्राटे लेने के कम्पन से मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ सकता है लेकिन किंग्स कॉलेज हॉस्पिटल, लंदन की कार्डियोवस्कुलर सेवाओं के क्लीनिकल डायरेक्टर डॉ. फिलिप मैकार्थी का कहना है कि यह बात अभी तक सिद्ध नहीं हुई है। खर्राटे लेने के बारे में कहा जाता है कि इससे हृदय के चारों ओर मौजूद धमनियों के सख्त होने का खतरा होता है जिससे हृदयाघात संभव है। टखने में मोच का सिरदर्द से क्या संबंध... पढ़ें अगले पेज पर....
टखने में मोच और सिरदर्द : ऐसा माना जाता है कि टखने में मोच या चोट के चलते सिर में बार बार दर्द पैदा हो सकता है। समझा जाता है कि टखने में चोट से हमारी चाल बदल जाती है और कभी कभी तो यह महीनों और वर्षों तक बनी रहती है।



इसका परिणाम यह होता है कि हमारे पैर, कूल्हे,, सिर और गर्दन सही तरीके से सक्रिय नहीं रह पाते हैं और इससे शरीर पर डॉमिनो जैसा प्रभाव पड़ता है। इससे सर्विकोजेनिक सिरदर्द पैदा हो सकता है क्योंकि ऐसी स्थिति से पीठ के ऊपरी हिस्से, कंधों और गर्दन को लगातार बहुत अधिक काम करना पड़ता हैअगले पेज पर पढ़ें.... नींद और कैंसर का संबंध....


इन्सोम्निया और कैंसर : नींद पूरी न होने के कारण आप अगले दिन चिड़चिड़े और थके महसूस तो करते ही हैं तो इसके साथ ही कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों ने एक पत्रिका में बताया है कि ‍जिन लोगों को सोने में परेशानी होती है, उन लोगों को सामान्य नींद लेने वालों की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर होने की दोगुना संभावना होती है।

आइसलैंड की कैंसर सोसायटी के जानकारों का कहना है कि नींद की कमी से मेलाटोनिन हारमोन का स्तर कम हो जाता है। यह हारमोन रात के समय पैदा होता है और इससे नींद आने की फीलिंग्स पैदा होती है।


इससे किसी प्रकार के ट्‍यूमर की वृद्धि पर भी रोक लगती है। एक जापानी शोध में पाया गया कि जो महिलाएं प्रति रात छह घंटे से कम समय तक सोईं उनके ब्रेस्ट कैंसर (बक्ष कैंसर) होने की संभावना 62 फीसद बढ़ गई थी और जो सात घंटों तक सोईं उनके साथ ऐसी कोई संभावना पैदा नहीं हुई। क्या रजोनिवृत्ति से अपच की शिकायत होती है... पढ़ें अगले पेज पर...
मेनोपॉज और अपच : रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) से न केवल आपको शर्मिंदगी का भाव महसूस होता है वरन इससे आपके लिए अपच का खतरा भी बढ़ जाता है। रजोनिवृत्ति से पहले और बाद में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन के स्तरों में परिवर्तनों से गैस्ट्रोइंटेस्ट्राइनल ट्रैक्ट में आपके भोजन की गति प्रभावित होती है और इस कारण से अपच की स्थिति पैदा होती है।


हारमोन में होने वाले बदलाव के चलते लिवर को भोजन को पचाने में ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है और इस कारण से पाचन क्रिया के लिए कम ऊर्जा बचती है। अंगुलियों के दर्द का हृदय से क्या ताल्लकु है... पढ़ें अगले पेज पर....
अंगुलियों के दुखने वाले जोड़ और हृदय की बीमारी : आठ हजार लोगों पर 15 वर्ष तक किए गए एक अध्ययन के अनुसार तकलीफदेह जोड़ आपके दिल को जोखिम में डालते हैं। ऑस्टियोऑर्थराइटिस न रखने वाले लोगों की तुलना में जो लोग अंगु‍लियों में इस बीमारी से पीडि़त रहते हैं, उनके हृदय रोग से मरने की 42 फीसद अधिक संभावना होती है। इसी तरह सामान्य महिलाओं की तुलना में जो महिलाएं इस बीमारी से पीडि़त होती हैं, उनके हृदय रोग से मरने की 26 फीसद अधिक संभावना होती है।  


जोड़ों में टूट फूट से तकलीफदेह और सूजे जोड़ों का कारण ओस्टोआर्थराइटिस से करीब 80 लाख ब्रिटेनवासी प्रभावित हैं। हालांकि इस स्थिति और दिल की बीमारी के बीचे सीधे संबंध को पूरी तरह से स्थापित नहीं किया जा सका है लेकिन माना जाता है कि इस बीमारी के लिए बजन भी एक कारण हो सकता है। फिनलैंड में यूनिवर्सिटी ऑफ क्यूओपियो के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. मिक्को हारा का कहना है कि कुछ अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि हृदय की बीमारी के साथ ब्लड फैट्‍स के ऊंचे स्तर भी बोन कार्टिलेज के टूटने को बढ़ाते हैं । हालांकि यह भी देखा गया है कि कुछ सेक्स हारमोन्स के कारण ओस्टोआर्थराइटिस और दिल की बीमारी बढ़ावा मिलता है। इससे अनियमित होती है माहवारी... पढ़ें अगले पेज पर..।
अनियमितत माहवारी और मधुमेह :

प्रजनन की उम्र की दस में से कम से कम एक महिला में पोलीसाइस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) बीमारी होती है। इससे न केवल माहवारी अनियमित होती है, प्रजनन में समस्याएं होती हैं वरन मधुमेह पैदा होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इस बीमारी के कारण गर्भाशय में छोटी छोटी निरापद पुटियां (सिस्ट्‍स) पैदा हो जाती हैं जिससे गर्भाशय में पैदा होने वाले डिम्बों की संख्या कम हो जाती है। यह बीमारी इंसुलिन नामक हारमोन के ऊंचे स्तर के कारण पैदा होती है जोकि रक्त में शक्कर का पूरी तरह से सफाया कर देता है।


इंसुलिन के ऊंचे स्तर के कारण गर्भाशय में पुरुष हारमोन टेस्टोस्टेरॉन्स बहुत अधिक पैदा होने लगता है, लेकिन ऐसा क्यों होता है, इसकी जानकारी नहीं है। इससे शरीर पर बहुत बाल पैदा होने लगते हैं और टाइप 2 क‍ी मधुमेह का खतरा भी बढ़ जाता है। इसी तरह पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं को हृदय रोग की संभावना अधिक होती है। क्यों होता मस्तिष्काघात... पढ़ें अगले पेज पर....
माइग्रेन्स और मस्तिष्क आघात : बहुत अधिक तेजी से प्रसारित होने वाले माइग्रेन्स से मस्तिष्क आघात का खतरा 21 फीसद अधिक बढ़ जाता है। मस्तिष्क आघात तब होता है जब ‍मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है और यह रक्त का थक्का जमने के कारण होता है या फिर दिमाग से रक्तस्राव होता है।


छब्बीस वर्षों से अधिक समय तक माइग्रेन पीडि़त 19 हजार महिलाओं और पुरुषों का अध्ययन करने के बाद पता लगा कि बहुत तेजी से प्रसारित होने वाले माइग्रेन पीडि़त लोगों के हृदय रोग या मस्तिष्क आघात से मरने की संभावना अधिक होती है। लेकिन जिन लोगों का माइग्रेन इतना अधिक तेज नहीं होता है उनका खतरा बीस फीसद कम हो जाता है। अमेरिका में करीब 28 हजार महिलाओं पर तेरह वर्षीय अध्ययन के दौरान पाया गया कि गंभीर माइग्रेन वाली महिलाओं की हेमरेज संबंधी मौत की ज्यादा संभावना थी। क्या पीठ दर्द का संबंध पेट से भी है... पढ़ें अगले पेज पर...
पेट की तकलीफें और पीठ का दर्द : पाचन नली की तीव्र जलन, इनफ्लेमेटरी बॉवेल डिसीज (आईबीडी) से पीठ का दर्द पैदा हो सकता है। इस बीमारी के चलते बहुत अधिक जलन होती है और इसके चलते आंतों की लाइनों को भी नुकसान पहुंच सकता है। ऐसा भी माना जाता है कि इसके चलते आंतों से जहरीला पदार्थ पैदा होता है और इसके परिणामस्वरूप जोड़ों में तेज जलन पैदा होती है। सेंट जॉर्ज अस्पताल, लंदन के सलाहकार गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. एंड्रयू पॉलिस कहते हैं कि आईबीडी से पीडि़त एक चौथाई मरीजों को आर्थराइटिस होता है।


पीठ का बहुत अधिक तेज दर्द पेंक्रिटाइटिस से पैदा हो सकता है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब ‍पेंक्रियास में तेज जलन होती है। यह एक ऐसी ग्लैंड होती है जोकि पेट के पीछे होती है और यह पाचन में मदद करने वाले एन्जाइम्स को पैदा करती है। पेंक्रियास के आसपास नर्व्स का जटिल संजाल (नेटवर्क) होता है इसलिए पें‍क्रिटाइटिस उन्हें उत्तेजित करता है और इस कारण से पीठ का दर्द होता है। वैसे इन सारी समस्याओं का हल समुचित व्यायाम में ही निहित है। अत: खुश रहें और स्वस्थ रहें...(समाप्त)