गुरुवार, 28 मार्च 2024
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आयुर्वेद के अनुसार जानिए, कैसे रंग-बिरंगे फूलों के पास कई बीमारियों का है इलाज

आयुर्वेद के अनुसार जानिए, कैसे रंग-बिरंगे फूलों के पास कई बीमारियों का है इलाज - diseases and flowers
रंग-बिरंगे सुंदर फूल न केवल देखने में अच्छे लगते हैं बल्कि अपनी खुशबू से हमारे मन को भी महका देते हैं। फूलों का इस्तेमाल केवल सजने-संवरने और घर की शोभा बढ़ाने के लिए ही नहीं होता, बल्कि आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि इनके पास हमारे शरीर की कई बीमारियों को ठीक करने का इलाज है। 
 
फूलों की हजारों प्रजातियों में से कई ऐसी हैं, जिनमें घाव को भरने से लेकर त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर करने का भी उपचार है। फूलों की अलग-अलग प्रजातियां अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होती हैं और इसलिए इनका उपयोग करने के पहले विशेषज्ञ का परामर्श आवश्यक होता है।
 
 
1. गेंदे के फूल -
 
जिनके घरों में बच्चे हों, उन्हें अपने घरों में गेंदे का फूल जरूर लगाना चाहिए। गेंदे के फूल को घाव भरने के लिए सर्वश्रेष्ठ मरहम माना जाता है। पुराने समय में बच्चों को चोट लगने पर गेंदे के फूलों को पीस कर घाव के स्थान पर लगा दिया जाता था।
 
2. गेंदे के फूल के साथ तुलसी के पत्ते -
 
गेंदे के फूलों को तुलसी के पत्तों के साथ पीस कर उसका मलहम बना कर भी घाव के उपर रखा जा सकता है। इसके अलावा गेंदे की एक विशेष प्रजाति से त्वचा संबंधी रोगों का भी उपचार किया जा सकता है। इन दिनों लोकप्रिय अरोमाथेरेपी में भी एग्जिमा, जलन और त्वचा के दाग-धब्बों के उपचार संबंधी दवाइयों में गेंदा मुख्य घटक होता है।
 
3 गुलाब का फूल -
 
फूलों के राजा गुलाब का भी चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान है। आयुर्वेद में गुलाब का उपयोग स्कर्वी के उपचार और गुर्दे संबंधी समस्याओं में होता है। फूलों से उपचार के क्षेत्र में शोध कर रहे आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. नितिन शर्मा ने बताया कि गुलाब का फूल शरीर में विटामिन सी की कमी को दूर करने में सहायक होता है।
 
गुलाब की कलियां विटामिन सी से समृद्ध होती हैं। इन कलियों को स्कर्वी दूर करने के एक प्रमुख तत्व के तौर पर शामिल किया जाता है। गुलाब की कलियों का अर्क गुर्दे की बीमारियों की दवाइयां बनाने में भी इस्तेमाल होता है। यह मूत्र संबंधी विकारों को दूर करती हैं। इसके अलावा गुलाब की पंखुड़ियां गर्मी से आए बुखार को दूर करने, शरीर को ठंडा करने और त्वचा की झाइयों को दूर करने में उपयोग की जाती हैं।
 
4. कमल का फूल -
 
कीचड़ में खिलने वाला कमल भी डायरिया को दूर करने और गर्मी के कारण झुलसी त्वचा को निखारने में मददगार साबित होता है।
 
डायरिया के उपचार के लिए कमल के बीजों को गर्म पानी में डाल कर उसमें काला नमक मिलाया जाता है। अब इसमें चाय की पत्ती डालकर उबाल कर पीने से डायरिया का उपचार किया जा सकता है।कमल की पत्तियों को पीस कर उसे झुलसी त्वचा पर लगाने से त्वचा की गर्मी दूर हो जाती है और झुलसने का निशान भी चला जाता है। शरीर से अतिरिक्त वसा कम करने की दवाइयों में भी कमल की पत्तियों का उपयोग होता है।