शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. साहित्य
  4. »
  5. हरिवंशराय बच्चन
  6. बच्चनजी नहीं खरीद सके ''दशद्वार''
Written By भाषा

बच्चनजी नहीं खरीद सके 'दशद्वार'

हरिवंश राय बच्चन : जयंती विशेष

Harivansh rai bachchan | बच्चनजी नहीं खरीद सके ''दशद्वार''
ND
इलाहाबाद के सिविल लाइंस के 17 क्लाइव रोड वाले भव्य मकान में हालावाद के प्रवर्तक डा. हरिवंश राय बच्चन बतौर किरायेदार लंबे समय तक रहे और इसे अपना स्थायी आशियाना बनाने की उनकी दिली तमन्ना थी लेकिन उस मकान को खरीदने की उनकी ख्वाहिश कभी पूरी न हो सकी।

हरिवंश राय बच्चन के शिष्य और उनको करीब से जानने वाले अजीत कुमार ने बताया कि बच्चन जी की इच्छा के चलते अमिताभ भी इलाहाबाद में सिविल लाइंस के 17 क्लाइव रोड़ वाले मकान को खरीदना चाहते थे और कहीं न कहीं इस मकान को संग्रहालय में तब्दील कराने की इच्छा रखते थे।

इस मकान में बच्चन जी ने इलाहाबाद प्रवास के दौरान अपना समय गुजारा था और इसके साथ उनकी तमाम मधुर स्मृतियाँ जुड़ी थीं। शायद यही एक प्रमुख कारण रहा होगा जिसकी वजह से वह इसे खरीदना चाहते थे।

इस मकान का निर्माण इलाहाबाद संग्रहालय में कार्यरत ब्रजमोहन व्यास ने कराया था, जिसे बाद में श्रीशंकर तिवारी ने खरीद लिया और इस वक्त इसका मालिकाना हक उनके वंशजों के पास है।

बच्चन ने अपनी आत्मकथा के चौथे खंड ‘दशद्वार से सोपान तक’ में लिखा है, ‘दशद्वार’ और ‘सोपान’ दो घरों के नाम हैं। इलाहाबाद के क्लाइव रोड वाले मकान को दशद्वार नाम दिया, क्योंकि यह मकान रोशनी वाला और हवादार था। इसमें दस दस खुली जगह थी, जिनसे रोशनी और हवा अंदर आती है। ‘क्या कबीर के दोहे ‘दसद्वारे पिंजरा तामे पंछी पौन। रहबे को अचरज है जाए तो अचरज कौन।।’ को ध्यान में रखकर इसका निर्माण किया गया था। मौत प्राय: अचरज में डाल देती है। अचरज करने की चीज तो जिंदगी है।’ हरिवंश राय बच्चन स्वयं का परिचय इन पंक्तियों से कराते थे, ‘मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय।’ बच्चन ने लिखा है, ‘एक दफा जब वह व्यास जी से मिले तो उन्हें अपनी सूझ बताई। उन्होंने कहा, ‘क्या खूब पकड़ा है।’ इस मकान को उन्होंने अपनी पत्नी ललिता के नाम पर ललिताश्रम नाम दिया था।’ उन्होंने आगे लिखा है कि दिल्ली के गुलमोहर पार्क के मकान का नाम उन्होंने ‘सोपान’ दिया है।

जनता सरकार के कार्यकाल में जब बच्चनजी मुंबई चले गए और वहाँ की आबोहवा उन्हें रास नहीं आ रही थी। उसी दौरान उन्होंने क्लाइव रोड वाले मकान को खरीदने की इच्छा जाहिर की थी। यह कोई 70 के दशक का आखिर का दौर रहा होगा। लेकिन किन्हीं कारणों के चलते यह सौदा हो नहीं पाया।

बच्चन जी के मकान मालिक रहे दिवंगत श्रीशंकर तिवारी ने भी एक दफा बताया था कि उन्होंने इस मकान को खरीदने की ख्वाहिश रखी थी और उस वक्त उन्होंने कहा था, ‘गुरूजी यह आपका मकान है, जब चाहे तब आइए और जब तक दिल करे इसमें रहिए, लेकिन मैं इसे बेचूँगा नहीं।’