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टीके कैसे काम करते हैं? How vaccines work

टीके कैसे काम करते हैं? How vaccines work - how vaccines work science behind vaccines
पोलियो मुक्त भारत या युनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम जैसे तरह तरह के कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा पिछले कई सालों से चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य ऐसी बीमारियों से नागरिकों की रक्षा करना है जो बड़े पैमाने पर फैलती हैं।


 


अधिकतर ये कार्यक्रम बच्चों की सुरक्षा और सुरक्षित मातृत्व का उद्देश्य पूर्ण करते हैं। इन कार्यक्रमों में टीकाकरण के जरिए बच्चों को सुरक्षित किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि टीके कैसे काम करते हैं? आइए जानें क्या है टीकों के पीछे का विज्ञान। 
 
टीके मानव शरीर में एंटीबॉडिज़ का निर्माण कर कारगर होते हैं। ये मानव शरीर को बीमारी से लड़ने के काबिल बनाते हैं बिना इसे इंफेक्ट किए। अगर टीका लगा हुआ व्यक्ति उस खास बीमारी के संपर्क में आता है तो उसका इम्यून सिस्टम इसे पहचान लेता है और तुरंत एंटीबॉडिज़ रिलीज करता है। ये एंटीबॉडिज बीमारी से लड़कर उसे खत्म कर देते हैं। 
 
जब किसी खास रोग से बचाव का टीका शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर को आभास होता है कि वास्तव में इस बीमारी के वायरस ने हमला किया है और इस तरह शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र एंटीबॉडीज़ का निर्माण करता है और जब भविष्य में इस बीमारी का वास्तविक हमला होता है तो शरीर में इसके एंटीबॉडीज़ पहले से ही होते हैं। 
 
नए पैदा हुए बच्चे पहले से ही कई बीमारियों से सुरक्षित होते हैं। इन बीमारियों में खसरा और रूबेला शामिल हैं। ऐसा बच्चों में मां के द्वारा मिले एंडीबॉडिज़ की वजह से होता है। इसे पैसिव इम्यूनिटी कहते हैं। पैसिव इम्यूनिटी सामान्यतौर पर कुछ ही हफ्ते या महीनों असरकारी होती है। खसरा और रूबेला के केस में पैसिव इम्यूनिटी एक साल तक असर करती है। 
 
टीके कैसे बनते हैं? 
 
पहला कदम होता है ऐसा ऑर्गेनिज़्म तैयार करना जो एक खास बीमारी पैदा करता है। इसे पैथोजेन कहते हैं। पैथोजेन एक वायरस या बैक्टेरियम होता है। वायरस और बैक्टेरिया लैबोरेटोरी में बड़े पैमाने पर पैदा हो सकते हैं। 
 
इसके बाद पैथोजेन में कुछ बदलाव किए जाते हैं ताकि यह पक्का हो सके कि यह स्वयं कोई बीमारी नहीं पैदा करेगा। इसके बाद इस पैथोजेन को अन्य टीके की चीजों के साथ मिलाया जाता है जैसे स्टेबलाइजर्स, प्रिजर्वेटिव। इस तरह टीका का डोज़ तैयार होता है।  
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