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Written By Author जयदीप कर्णिक

बनारस में कुछ नहीं कर पाएंगे केजरीवाल...

बनारस में कुछ नहीं कर पाएंगे केजरीवाल... -
बनारस। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. विश्वनाथ पांडेय का मानना है कि अरविन्द केजरीवाल बनारस में कुछ नहीं कर पाएंगे न ही उनका असर लोकसभा चुनाव में होने वाला है। लोग स्वस्थ राजनीति की अपेक्षा करते हैं, लेकिन केजरीवाल ने जनता को निराश किया है।
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वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक के साथ विशेष बातचीत में प्रो. पांडेय ने देश की वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था पर खुलकर चर्चा की। जब उनसे पूछा कि अरविंद केजरीवाल एक व्‍यक्‍ति के तौर पर भले ही विफल हो गए हों लेकिन एक राजनीतिक एजेंडा जो उन्‍होंने शुरू किया है, लोग अभी भी उसमें विश्‍वास करते हैं? उन्होंने कहा- इसी कारण दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आई, जब तक बड़ी वैचारिक और सांस्‍कृतिक लहर नहीं आएगी परिवेश को बदला नहीं जा सकता। जिन वर्गों को केजरीवाल जोड़ रहे हैं वे ही अभी इसके आदि नहीं है, वे घूस देकर अपना काम करवा लेंगे।

विस्तृत साक्षात्कार के लिए देखें वीडियो....


चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण से जुड़े सवाल पर प्रोफेसर पांडेय कहते हैं कि इस चुनाव में 100 प्रतिशत धुव्रीकरण नहीं हो रहा है, यहां तक कि मुसलमानों में भी शत प्रतिशत धुव्रीकरण नहीं हो सकता। नया मुसलमान धार्मिक राजनीति से इत्तफाक नहीं रखता। मुलायमसिंह और आजम खान जो कर रहे हैं, जितनी धार्मिक राजनीति वे कर सकते थे, उन्‍होंने की मगर अब यह काम नहीं करने वाला। नई पीढ़ी के सोचने का नजरिया अलग है। हमारा लड़का भी आज हमारी बात ही नहीं मानता।

मोदी के बारे में क्या बोले प्रो. पांडे... पढ़ें अगले पेज पर...


बनारस चुनाव के संदर्भ में कहते हैं कि अजय राय भी तो एक माफिया ही हैं। हालांकि वे मानते हैं कि मुसलमान वोट अजय राय के साथ जा सकते हैं। उनकी छवि बहुत अच्‍छी है, वे मिलनसार भी हैं और उनकी स्‍थानीय लोकप्रियता भी काफी है। दूसरी ओर वे कहते हैं कि ब्राह्मण और वरिष्‍ठ लोग चाहेंगे कि मोदी को वोट करें। इसके अलावा जो लोग दुर्दशा में हैं उन्‍हें लगता है कि मोदी बनारस को अपनाएंगे, वे चाहें यहां रहें या न रहें, वे इसके लिए कुछ करेंगे।

प्रो. पांडेय मानते हैं कि मोदी को एक बार प्रधानमंत्री बन जाना चाहिए, क्‍योंकि कांग्रेस की हालत फिलहाल बहुत बुरी है और कांग्रेस के लिए यह सीख होगी कि उसे 5 वर्ष विपक्ष में बैठना पड़े। जब हम राहुल गांधी को बोलते हुए सुनते हैं, तो ऐसा लगता है कि वे रटकर बोल रहे हैं। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि यदि 2002 के गुजरात दंगे नहीं होते तो नरेन्द्र मोदी को कोई नहीं पहचानता। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व के बजाय हिन्दुइज्म कहना चाहिए।