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Written By भाषा

राजस्थान में रहेगा मोदी लहर का असर

-राजस्थान से मुकेश बिवाल

Lok Sabha Election 2014 | राजस्थान में रहेगा मोदी लहर का असर
KANAK MEDIA
राजस्थान में 17 अप्रैल को होने वाले मतदान की चुनावी तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। वैसे तो मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है, परंतु कुछ दमदार नेताओं के चुनाव मैदान में कूदने से कुछ सीटों पर मुकाबला रोचक और संघर्षपूर्ण हो गया है। हालांकि यहां मोदी लहर का असर दिखने की पूरी-पूरी संभावना है।

एनडीए सरकार में अहम पदों पर रहे जसवंतसिंह की बगावत ने बाड़मेर सीट को पूरे देश में सुर्खियों में ला दिया है। वे यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। कई बार सांसद और एनडीए सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल चुके जसवंतसिंह अपने तथाकथित अंतिम चुनाव अपनी जन्म स्थली से लड़ने की जिद में इस निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के जाट उम्मीदवारों कर्नल सोनाराम और सांसद हरीश चौधरी के बीच राजपूत जसवंतसिंह का चुनाव मैदान में उतरना क्या सियासी हंगामा करता है, यह तो समय ही बताएगा। वैसे प्रदेश की मुख्यमंत्री ने इस संसदीय क्षेत्र को अपनी नाक का बाल बना लिया है और कर्नल सोनाराम के निर्वाचन फॉर्म भरते समय उनकी मौजूदगी इसी ओर इंगित करती है कि वे बाड़मेर सीट किसी सूरत में खोना नहीं चाहती।

प्रदेश की राजधानी की ग्रामीण सीट जयपुर ग्रामीण में भाजपा के राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और कांग्रेसी दिग्गज सीपी जोशी के बीच आमेर विधायक नवीन पिलनीया का पेंच अटक गया है, जिसका खामियाजा दोनों दलों को उठाना पड़ेगा। हालांकि राठोड और जोशी इस संसदीय क्षेत्र के लिए बाहरी हैं फिर भी जोशी पर अपना क्षेत्र छोड़कर आने का फैसला उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है फिर पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्यक्षी को सुखबीर सिंह जौनपुरिया के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था वही भूमिका अब नवीन पिलनिया निभा रहे हैं। वे किस पक्ष के वोट काटेंगे यह तो मतदाता के मानस पर निर्भर करता है।

राजधानी की शहरी सीट जयपुर शहर में भाजपा के रामचरण बोहरा अपने आठ विधायकों और वर्तमान सांसद महेश जोशी द्वारा की गई क्षेत्र की उपेक्षा मजबूत बनाती है, हालांकि शुरुआत में अन्य दावेदारों का विरोध था परंतु अब सभी की एकजुटता इनके पक्ष में जाती दिख रही है जबकि जोशी के नामांकन भरने के दिन शहर की महापौर सहित विधानसभा के आठों कांग्रेसी प्रत्याशियों की गैरहाजिरी चर्चा का विषय रही थी।

प्रदेश के अन्य संसदीय क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुक़ाबला है, वह है अजमेर। यहां से कांग्रेस के वर्तमान सांसद एवं प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलेट के सामने भाजपा ने केबिनेट मंत्री सांवरलाल जाट को खड़ा किया है वर्तमान में भाजपा संसदीय क्षेत्र की आठों विधान सभा सीटों पर काबिज है और सचिन पायलेट सांवरलाल के सामने कड़े संघर्ष में फंस गए लगते हैं।

भाजपा को अपने एक अन्य कद्दावर नेता की बगावत का सामना सीकर संसदीय लोकसभा सीट से भी करना पड़ रहा है। यहां भाजपा के स्वामी सुमेधानंद और कांग्रेस के पीएस जाट के सामने वहां के दमदार नेता सुभाष महरिया भाजपा से बागी होकर ताल ठोंक रहे हैं। तीनों उम्मीदवार जाट हैं, इसलिए यहां भी अन्य जातियों विशेषकर ब्राह्मणों और राजपूतों का रुझान तीनों प्रत्याशियों के भाग्य निर्धारण करेगा।

सीकर से ही लगे हुए संसदीय क्षेत्र झुंझुनू में दोनों प्रमुख दलों ने दो महिलाओं-भाजपा से संतोष अहलावत और कांग्रेस से स्वर्गीय शीशराम ओला की पुत्रवधू राजबाला को उतारा है। यहां नवलगढ़ से विधायक राजकुमार शर्मा और आप की तरफ से सेवानिवृत्त फौजी ले. जनरल राज कादियान मुक़ाबले को चतुष्कोणीय बना रहे हैं। हालांकि राजबाला को अपने श्वसुर की राजनीतिक विरासत और परिवार से बृजेन्द्र ओला के विधायक होने का लाभ मिलेगा, परंतु संतोष अहलावत की जुझारू छवि और उनका स्वयं का विधायक होना उनके पक्ष में जाता दिख रहा है। कांग्रेस को निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजकुमार शर्मा से खतरा है, जबकि राज कादियान भाजपा के परंपरागत पूर्व सैनिक वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। कुल मिलाकर चारों उम्मीदवार अभी तक समान स्तर पर नजर आते हैं।

राजस्थान से एक संसदीय क्षेत्र ऐसा भी जहां समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार मुक़ाबले को त्रिकोणीय बना रहा है वह है जालौर संसदीय सीट है, जहां पुराने खिलाड़ी सरदार बूटासिंह वर्तमान सांसद भाजपा के देवजी पटेल और कांग्रेस के उदयलाल आंजना से दो-दो हाथ कर रहे हैं। बूटासिंह यह चुनाव अपनी पुरानी पैठ को वापस पाने और कांग्रेस से अपनी उपेक्षा का बदला लेने के लिए लड़ रहे हैं।
KANAK MEDIA


नागौर में कांग्रेस ने स्थानीय कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद वर्तमान सांसद ज्योति मिर्धा को फिर से मौका दिया है, भाजपा ने मुख्यमंत्री के नजदीकी सीआर चौधरी को प्रत्याक्षी बनाकर अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं को नाराज ही किया है, परंतु दोनों दलों के असंतुष्टों मे मिलकर वसुंधरा राजे के घोर विरोधी हनुमान बेनीवाल को खड़ा कर के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है।

पड़ोसी जिले चुरू में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने नए चेहरों राहुल कस्वा और प्रताप पूनिया पर दांव लगाया है। दोनों युवा हैं और राजनीतिक परिवार से संबंधित हैं। राहुल के माता-पिता दोनों भाजपा की तरफ से सांसद और विधायक रहे हैं और पूनिया के चाचा हाल में भाजपा विधायक हैं। यहां बसपा ने एक सशक्त ब्राह्मण उम्मीदवार अभिनेष महर्षि को खड़ा किया है। महर्षि जाट वोटों के बंटवारे के बीच ब्राह्मण वोटों से अपनी नैया पार करने की सोच रहे हैं।

कोटा संसदीय क्षेत्र से भाजपा अपनी गत हार का बदला लेने के लिए कटिबद्ध है। इसलिए अबकी बार पार्टी ने अपने लोकप्रिय विधायक ओम बिड़ला को वर्तमान सांसद और कोटा राजघराने के इज्यराजसिंह के सामने उतारकर इसे राजा और रंक की लड़ाई बना दिया है। हालांकि यहां से मंगरोल नगरपालिका के अध्यक्ष और आप उम्मीदवार अशोक जैन मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री पुत्र दुष्यंतसिंह के सामने कांग्रेस ने पिछले चुनाव की कांग्रेस प्रत्याशी की जगह उनके पति प्रमोद जैन भाया को टिकट दिया है, लेकिन यहां से दुष्यंत का वर्तमान सांसद होना और वसुंधरा पुत्र होना उनके पक्ष में जाएगा। साथ ही यहां से कांग्रेस को भी सफलता की उम्मीद कम ही है।

मारवाड़ की अधिकतर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है। जोधपुर से राजघराने की बेटी और वर्तमान सांसद चंद्रेश कुमारी का मुक़ाबला भाजपा के नए चेहरे गजेंद्रसिंह शेखावत से हो रहा है। राजपूत वोटों के बंटवारे के कारण दोनों उम्मीदवार जाट और माली वोटों के भरोसे हैं।

पाली लोकसभा क्षेत्र से भाजपा और कांग्रेस दोनों ने नए प्रत्याक्षी पीपी चौधरी और मुन्नी देवी गोदारा को उतारा है। वैसे भी पाली के मतदाता हवा से प्रभावित होने वाले मतदाता हैं, इसलिए भाजपा तथाकथित मोदी लहर के बूते सफल होने के सपने देख रही है।

मेवाड़ की तकरीबन सभी सीटों पर कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुक़ाबला है। उदयपुर से वर्तमान सांसद रघुवीर मीणा का सामना भाजपा के अर्जुन मीणा से हो रहा है, वहीं चित्तौड़गढ़ से दोनों ब्राह्मण प्रत्याशी केन्द्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद गिरजा व्यास और भाजपा जिलाध्यक्ष चन्द्र प्रकाश जोशी में सीधा मुक़ाबला है। बांसवाड़ा से पूर्व मंत्री महेंद्रजीत मालवीय की पत्नी रेशम मालवीय को कांग्रेस ने टिकट दिया है, वहीं दूसरी ओर भाजपा से मानशंकर निनामा जो कि संघ के पुराने कार्यकर्ता हैं, खड़े हुए हैं।

राजसमंद लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान सांसद गोपालसिंह शेखावत के सामने हरीओम राठौड़ भाजपा उम्मीदवार हैं। भीलवाड़ा से गुर्जर मतों के भरोसे कांग्रेस ने अशोक चांदना को खड़ा किया है, लेकिन पूर्व में सांसद रह चुके भाजपा के सुभाष बहेड़िया के पास वर्तमान सांसद सीपी जोशी का क्षेत्र छोड़ना एक बड़ा मुद्दा है।

गंगानगर सीट से निहाल चंद मेघवाल भाजपा के चर्चित चेहरे हैं जबकि चूरू जिले से विस्थापित किए गए मास्टर भंवरलाल का कांग्रेसी कार्यकर्ता ही बाहरी होने के कारण विरोध कर रहे हैं। वैसे तो मैदान में अन्य दल भी हैं परंतु उनका प्रभाव नगण्य है। बीकानेर संसदीय सीट से हालांकि कांग्रेस ने शंकर पन्नू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, परंतु उन्हें सभी कार्यकर्ताओं का समर्थन नहीं मिलना उनके लिए सरदर्द बना हुआ है। कुछ ऐसा ही हाल भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान सांसद अर्जुन मेघवाल का है, जिन्हें जिले के दिग्गज भाजपा नेता देवीसिंह भाटी का समर्थन नहीं मिलना उनके लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है।