शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. लोकसभा चुनाव 2014
  4. »
  5. चुनाव मैदान से
Written By WD

मोदी दुश्मनी पालकर बैठे हैं तो हम दोस्ती क्यों करें...

-वाराणसी से जयदीप कर्णिक

मोदी दुश्मनी पालकर बैठे हैं तो हम दोस्ती क्यों करें... -
बजरडीहा बनारस की काफी पिछड़ी बस्ती है। यहां रहने वाले ज्यादातर सुन्नी मुस्लिम बुनकर हैं। यहां करघों की घरघराहट सुनाई देती है तो गरीबी और गंदगी में रहने की कराह भी। नालियों से रिसती गंदगी जिंदगी को और दूभर बनाती है तो बदहाल सड़कें व्यवस्था की पोल खोलती हैं। लोगों में व्यवस्था के प्रति तो गुस्सा है मगर इस सबसे ज्यादा गुस्सा है नरेन्द्र मोदी को लेकर।
FILE

जब यहां के वाशिंदों को लोकसभा चुनाव को लेकर कुरेदा गया तो छूटते ही बोले कि मुसलमान नरेन्द्र मोदी को तो वोट नहीं देंगे। वे कहते हैं कि भले ही उनका इलाका विकास से अछूता है, लेकिन गुजरात में मुसलमानों के साथ जो हुआ है, वोट के जरिए उसका माकूल जवाब देने का मौका आ गया है। सभी लोगों ने एकसुर मं मोदी के खिलाफ नाराजी जाहिर की। उन्होंने कहा कि किसी को भी वोट दे देंगे, लेकिन नरेन्द्र मोदी को तो वोट नहीं देंगे।

वे सवाल उठाते हैं कि जब नरेन्द्र मोदी हमसे दुश्मनी पालकर बैठे हैं तो फिर हम उनसे दोस्ती क्यों करें? जब उनसे पूछा गया कि मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन भाजपा से जुड़े हैं, शिया लोग तो भाजपा को वोट देते हैं तो वे बोले कि हम ऐसे लोगों को मुसलमान ही नहीं मानते। भाजपा और उससे जुड़े मुसलमानों को लेकर तो इनमें काफी गुस्सा है, लेकिन गंदी नालियों और खराब सड़कों पर ज्यादा कुछ नहीं बोलते। बस इतना ही कहते हैं हम क्या कर सकते हैं, यह तो नेताओं को सोचना चाहिए।

...तो फिर किसको मिलेंगे मुस्लिम वोट... पढ़ें अगले पेज पर...


यूं तो ये वोट मुख्तार अंसारी को मिलते थे, लेकिन इस बार इन पर अजय राय और अरविन्द केजरीवाल की भी नजर है। राय को लेकर जो एक बात सामने आ रही है वह यह कि दंगों के दौरान यहां राय ने मुसलमानों के विरुद्ध काम किया था। ऐसा माना जा रहा है कि मुस्लिम वोट कांग्रेस को या केजरीवाल को मिल सकते हैं।

केजरीवाल के पक्ष में यह बात आ रही है कि पिछली बार जब वे बनारस आए थे, तब एक मुस्लिम बारात निकली थी, जिसमें लोग आम आदमी पार्टी की टोपियां लगाए हुए थे। हाल ही में भी इस तरह की एक बारात निकली थी, जिस पर चुनाव आयोग ने भी एतराज उठाया है।

हालांकि यह भी माना जा रहा है कि यदि इस सीट के पूरे मुस्लिम वोट यदि एक तरफ गिर जाएं तो संबंधित उम्मीदवार का पलड़ा भारी हो सकता है। पिछले चुनाव में इनकी संख्‍या 2 लाख थी, जो अब बढ़कर ढाई लाख के लगभग हो गई है। 20-25 हजार की संख्या इनमें शिया वोटरों की है, जो भाजपा समर्थक माने जाते हैं। मुख्तार अंसारी के हटने के बाद ये वोट किसको मिलेंगे, इसको लेकर फिलहाल सस्पेंस बरकरार है।