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Written By WD

धर्म देश के बीच आया तो धर्म छोड़ दूंगा...

-जयदीप कर्णिक

धर्म देश के बीच आया तो धर्म छोड़ दूंगा... -
अमेठी। आम आदमी पार्टी के नेता कवि कुमार विश्वास कैसे राजनेता साबित होंगे यह तो चुनाव परिणाम के बाद पता चलेगा, लेकिन वे कहते हैं कि आप के किसी भी नेता की राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। हम तो आज भी राजनीति छोड़ने को तैयार हैं।

चुनाव प्रचार की गहमागहमी के बीच वेबदुनिया के संपादक जयदीपक कर्णिक के साथ कुमार विश्वास अपने चिर-परिचित अंदाज में खुलकर बोले। उन्होंने कहा कि जिस दिन संसद का संयुक्त सत्र हमारे जनलोकपाल, राइट टू रिकॉल, ‍राइट टू रिजेक्ट जैसे मुद्दों को स्वीकार कर लेगा, राजनीतिक दल आरटीआई के दायरे में आ जाएंगे तो हमें राजनीति करने की जरूरत ही नहीं पड़ेंगी। इससे राजनीति का शुद्धिकरण होगा, हम चले जाएंगे। उनसे पूछा गया था कि अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं शुरू से ही थीं और वे इस तैयारी में थे कि इस के आंदोलन पर सवार होकर वे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करेंगे?

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राहुल गांधी और मनमोहनसिंह पर निशाना साधते हुए कुमार ने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने यह कहा कि मैं राहुल गांधी के लिए कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हूं, आप (राहुल) जाकर बैठ जाएं। ऐसा कहकर उन्होंने देश के युवाओं का अपमान किया है। अमेठी उत्तरप्रदेश के पिछड़े पांच जिलों में से एक है। राहुल यहां की जनता के साथ धोखा कर रहे हैं। अमेठी एक उदाहरण है कि बड़े नेता किस तरह से जनता का भावनात्मक शोषण करते हैं, उस जगह को अशिक्षित, रोजगारहीन, पिछड़ा बनाए रहते हैं ताकि वे जीतते रहें, इसलिए मुझे यहां आना पड़ा। मैं 200 प्रतिशत यहां चुनाव जीतूंगा।

किसने बनाया राजनीति को भ्रष्ट... पढ़ें अगले पेज पर...


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एक सवाल के जवाब में विश्वास ने कहा कि इस देश में सामाजिक आंदोलनों की जो इज्जत है, वह राजनीति की नहीं है। उसका कारण वह पारंपरिक राजनीति है, जिसने राजनीति को भ्रष्‍ट बनाया। लालबहादुर शास्‍त्री के बाद इस देश में राजनीतिज्ञों का आदर संभव नहीं हो पाया है। उसके बाद आदर अटलबिहारी वाजपेयी के लिए आया। राजनीति के प्रति जो सम्मान है, विश्वास है, उसे लौटाने में समय तो लगेगा।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते है कि मैंने अन्ना आंदोलन का उपयोग कर लिया, लेकिन आंदोलन जब शुरू हुआ तब 6-7 लोग ही थे। मुझे तब पता नहीं था कि अन्ना आंदोलन इतना बड़ा हो जाएगा। मुझे लोकप्रियता के लिए आंदोलन में जाने की जरूरत नहीं थी। इस आंदोलन ने जरूर मेरी लोकप्रियता को भुनाया। इस आंदोलन के दौरान में मुझे डंडे मिले, जेल मिली। दामिनी और गुड़िया की घटना के समय भी मुझे लड़ना पड़ा। यह सब मुझे स्वीकार है।

केजरीवाल द्वारा दिल्ली के मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा देने के मसले पर कुमार कहते हैं कि मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि जनलोकपाल बिल हम पास नहीं कर पा रहे थे, उसे और रेखांकित करने की आवश्यकता थी। दो-तीन बार और रखना चाहिए था। हमारी सरकार ने उस बिल को जनता के बीच सही समीक्षित भी नहीं किया।

...तो लोग सड़कों पर नाचेंगे... पढ़ें अगले पेज पर...


उन्होंने कहा कि आजादी के बाद यह पहली सरकार है जिसके गिरने का जनता को दुख हुआ। यही इस पार्टी की विश्वसनीयता को दर्शाता है। उप्र में मायावती की सरकार गई लोगों ने पटाखे फोड़े, आज मुलायमसिंह की सरकार गिर जाए तो लोग सड़कों पर नाचेंगे। हालांकि वे मानते हैं कि सरकार गिरने से लोगों का दिल टूटा, लेकिन वे यह भी मानते हैं कि बिना जनलोकपाल पास किए अरविंद केजरीवाल मुख्यमं‍त्री बने रहते तो मीडिया और कांग्रेस के अफवाह तत्व यह कहते कि यह वादा करके सरकार में आए और वादा पूरा नहीं कर रहे हैं।

अमेठी से चुनाव लड़ने के मुद्दे पर विश्वास कहते हैं कि जब दिल्ली में हम बड़ी पार्टी के रूप में उभरे तो हमें लगा कि जनता ने हमें स्वीकार कर लिया है। शाजिया इल्मी बहुत कम वोटों से हारीं। हमने जंतर-मंतर पर कार्यकर्ताओं के आभार का कार्यक्रम रखा था। उस दिन सुबह ही कपिल सिब्बल ने हमारे बारे में अराजक टिप्पणी की कि यह तो एक बार का गेम है, अब आगे नहीं होगा। सिब्बल को चुनौती देते हुए मनीष सिसौदिया ने यह टिप्‍पणी की कि तुम्हारी हस्ती क्या है, हम तो तुम्हारे युवराज के सामने भी अपना उम्मीदवार अड़ा देंगे। हालांकि उन्होंने मेरा नाम नहीं लिया। शाम तक चैनलों पर यह खबर चली और मीडिया ने मुझसे पूछा कि यदि पार्टी आपसे राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने को कहेगी तो लड़ेंगे, मैंने कहा कि लड़ेंगे।

केजरीवाल से टकराव की बात से इनकार करते हुए विश्वास ने कहा कि यह पार्टी के आतंरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की स्थिति है। किसी भी संगठन में यह होना चाहिए। बहुत सारे मुद्दे पर हमारे मतभेद हैं, लेकिन हम बीच का रास्ता निकाल लेते हैं। हमारे बहुत सारे मतभेद जैसे प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव का वामपंथ की तरफ रुझान होता हैं, उसी के जरिए आए हैं। मैं राष्ट्रवादी हिन्दू हूं। मैं नरेन्द्र मोदी की तरह यह नहीं कहता कि मैं हिन्दू राष्ट्रवादी हूं। मेरा धर्म देश के बीच में आ रहा होगा तो मैं अपना धर्म छोड़ दूंगा।