बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. गणेशोत्सव
  4. ganesh chaturthi subh muhurat pooja vidhi

गणेश चतुर्थी विशेष : महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी विशेष : महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त - ganesh chaturthi subh muhurat pooja vidhi
जिस प्रकार पश्चिम बंगाल की दूर्गा पूजा आज पूरे देश में अत्यधिक प्रचलित हो चुकी है उसी प्रकार महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी का उत्सव भी पूरे देश में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है इसलिए  इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है।
 
प्रत्येक चंद्र महीने में 2 चतुर्थी तिथि होती है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश से संबंधित होती है। शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या के बाद चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है, और कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। 
 
भाद्रपद के दौरान विनायक चतुर्थी, गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी को हर साल पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
 
 गणेश चतुर्थी 2018 शुभ मुहूर्त 
 
चतुर्थी तिथि आरंभ- 16:07 (12 सितंबर 2018)
 
चतुर्थी तिथि समाप्त- 14:51 (13 सितंबर 2018)
 
गणेश चतुर्थी पर्व तिथि व मुहूर्त - 13 सितंबर- 2018
 
   मध्याह्न गणेश पूजा – 11:04 से 13:31
 
   चंद्र दर्शन से बचने का समय- 16:07 से 20:34 (12 सितंबर 2018)
 
    चंद्र दर्शन से बचने का समय- 09:32 से 21:13 (13 सितंबर 2018)
 
गणेश चतुर्थी व्रत पूजा विधि :-
 
सबसे पहले एक ईशान कोण में स्वच्छ जगह पर रंगोली डाली जाती हैं, जिसे चौक पुरना कहते हैं। 
 
उसके उपर पाटा अथवा चौकी रख कर उस पर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाते हैं। 
 
उस कपड़े पर केले के पत्ते को रख कर उस पर मूर्ति की स्थापना की जाती है। 
 
इसके साथ एक पान पर सवा रुपया रख पूजा की सुपारी रखी जाती है। 
 
कलश भी रखा जाता है। कलश के मुख पर लाल धागा या मौली बांधी जाती है। यह कलश पूरे दस दिन तक ऐसे ही रखा जाता है। दसवें दिन इस पर रखे नारियल को फोड़ कर प्रसाद खाया जाता है। 
 
स्थापना वाले दिन सबसे पहले कलश की पूजा की जाती है। जल, कुमकुम, चावल चढ़ा कर पुष्प अर्पित किए जाते हैं। 
 
कलश के बाद गणेश देवता की पूजा की जाती है। उन्हें भी जल चढ़ाकर वस्त्र पहनाए जाते हैं। फिर कुमकुम एवम चावल चढ़ाकर पुष्प समर्पित किए जाते हैं।
 
गणेश जी को मुख्य रूप से दूर्वा चढ़ाई जाती है। 
 
इसके बाद भोग लगाया जाता है।गणेश जी को मोदक प्रिय होते हैं। 
 
परिवार के साथ आरती की जाती है। इसके बाद प्रसाद वितरित किया जाता है। 
 
गणेश जी की उपासना में गणेश अथर्वशीर्ष का बहुत अधिक महत्व है। इसे रोजाना पढ़ा जाता है। इससे बुद्धि का विकास होता है। यह मुख्य रूप से शांति पाठ है।  

ये भी पढ़ें
पुरुषों में डायबिटीज, यानि प्रजनन क्षमता में कमी ?