बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. »
  3. गुदगुदी
  4. »
  5. हास्य व्यंग्य
Written By WD

रंगपंचमी : खट्टा-मीठा काव्य-रस

- नीरज जोशी 'प्रयत्न'

रंगपंचमी : खट्टा-मीठा काव्य-रस -

होली बीते दिन हुए, अब क्यों मले गुलाल।

मारेगी ताना सखी, देख गुलाबी गाल ॥

सैंया ने रंग दियो, बिना रंग के होली में ।

हो गई मैं तो लाल-गुलाबी, रात की ठिठोली में ॥

हौले-हौले क्या बोले तू, मस्ती भरी इस होली में ।

पकड़ी कलाई अब ना छोड़ूं, भीगे दामन चोली में ॥

धक्‌-धक्‌ मेरा दिल धड़के, उड़ता फिरूं आकाश में ।

फर-फर उड़े चुनरिया तेरी, होली की भागमभाग में ॥