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Last Modified: शुक्रवार, 22 जनवरी 2021 (19:53 IST)

कृषि मंत्री तोमर का बड़ा बयान, जब आंदोलन की ‘पवित्रता’ नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता

कृषि मंत्री तोमर का बड़ा बयान, जब आंदोलन की ‘पवित्रता’ नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता - Narendra Singh Tomar on farmers protest
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों द्वारा सरकार के प्रस्ताव को खारिज किए जाने पर दुख जताया और उनसे इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जब आंदोलन की ‘पवित्रता’ नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता।
 
उन्होंने कहा कि 3 कृषि कानूनों का क्रियान्वयन 12-18 महीनों तक स्थगित रखने और तब तक चर्चा के जरिए समाधान निकालने के लिए समिति बनाए जाने संबंधी केंद्र का किसान संगठनों के समक्ष रखा गया प्रस्ताव बेहतर और देश व किसानों के हित में है।
 
किसान संगठनों के साथ 11वें दौर के वार्ता असफल होने के बाद तोमर ने कहा कि हमने उनसे कहा कि आज वार्ता को पूरा करते हैं... आप अगर निर्णय पर पहुंच जाते हैं तो कल अपना मत बताइए। हम कहीं भी इकटठा हो सकते हैं, इसकी घोषणा के लिए।
 
तोमर ने कहा कि कुछ ताकतें हैं जो अपने निजी और राजनीतिक हितों के चलते आंदोलन को जारी रखना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसान का हित सर्वोपरि नहीं है और दूसरे हित सर्वोपरि हो जाएंगे तो किसान के हित में निर्णय नहीं हो पाएगा।
 
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने किसानों के प्रति हमेशा संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया। उनकी भी प्रतिष्ठा बढ़े। इसलिए भारत सरकार की कोशिश थी कि वह सही रास्ते पर विचार करे। इसके लिए 11 दौर की बैठक की गई। सरकार ने एक के बाद एक अनेक प्रस्ताव दिए लेकिन जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि किसान संगठन सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे, उन्होंने कहा कि मैं कोई अनुमान नहीं लगाता लेकिन मैं आशावान हूं। मुझे उम्मीद है कि किसान संगठन हमारे प्रस्ताव पर सकारात्मक विचार करेंगे। (भाषा)
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