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Written By WD

स्वर्ण मंदिर का शहर : अमृतसर

स्वर्ण मंदिर का शहर : अमृतसर -
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अमृतसर : 16 वीं शताब्दी में सिखों के चौथे गुरु रामदास ने एक तालाब के किनारे डेरा डाला, जिसके पानी में अद्भुत शक्ति थी। इसी कारण इस शहर का नाम अमृत+सर (अमृत का सरोवर) पड़ा।

गुरु रामदास के पुत्र ने तालाब के मध्य एक मंदिर का निर्माण कराया जो आज स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस शहर में अप्रैल माह में बैसाखी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसी दिन गुरु गोविंदसिंह ने सिखों को लड़ाकू कौम में परिवर्तित करते हुए खालसा पंथ की स्थापना की थी।

प्रमुख पर्यटन स्थल :

स्वर्ण मंदिर : यह सिखों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसे हरि मंदिर भी कहते हैं। इसके गुम्बद पर शुद्ध स्वर्ण पत्तियों का आवरण है, जो धरती की ओर झुकी हुई हैं। इसका आशय यह है कि सिख दुनिया की समस्याओं के प्रति एक जागरूक कौम है।

दुर्गियाना मंदिर : यह हिन्दुओं का धार्मिक स्थल है, जिसके गुम्बद पर सोने तथा चाँदी का आवरण है।

जलियाँवाला बाग : वर्ष 1919 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इसी स्थान पर करीब 2000 भारतीयों का नरसंहार किया था। आज यहाँ उस दुःखद घटना की याद दिलाता स्मारक खड़ा है।

बाबा अटल राय स्तंभ : यह गुरु हरगोविंदसिंह के नौ वर्षीय पुत्र का शहादत स्थल है।

तरन तारन : अमृतसर से करीब 22 किलोमीटर दूर इस स्थान पर एक तालाब है। ऐसी मान्यता है कि इसके पानी में बीमारियों को दूर करने की ताकत है।

राम तीर्थ : यह भगवान राम के पुत्रों लव तथा कुश का जन्म स्थल माना जाता है।

* हवाई अड्डे से शहर की दूरी करीब 11 किलोमीटर है, जिसे तय करने में 15 मिनट का समय लगता है।

* अक्टूबर से मार्च तक का समय इस शहर के भ्रमण के लिए उपयुक्त है।