शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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Written By WD

कुरसी मैया की आरती

कुरसी मैया की आरती -
- डॉ. पुष्पा चौरसिया

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आरती जय कुरसी माता,

जगत सब तेरी शरण आता।

मूढ़-अज्ञानी रिश्वतदानी, सब तुम्हरे ही चेले।

जहां बिराजैं देवी मैया, हर दिन लगते मेले।।

भगत भी झूम-झूम गाता,

आरती जय कुरसी माता।


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अतुलित बल की तुम महरानी, हुकुम तुम्हारो चाले।

अपनी सेवा में मैया ने, ढेरों गुण्डे पाले।।

तिकड़मी लोगन से नाता,

आरती जय कुरसी माता।।

सीधा-सादा चुप्पी साधे, दरबारी मुंह खोलें।

आस्तीन के सांप संग में, पालैं बहुत संपोले।।

प्रसादी चमचा ही पाता,

आरती जय कुरसी माता।।


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शत्रु-दलन में तुम हो माहिर, आंख पै पट्टी बांधी।

राज-काज कुछ ऐसे फैलो, रोएं विनोबा-गांधी।।

विदेशी बैंकों में खाता,

आरती जय कुरसी माता।।

चांदी की तुम पहन खड़ाऊं, सम्हल-सम्हल पग धारो।

जल बिच बैर मगर से कैसो, छांटि-छांटि संहारो।

बेचारा मुंह की वह खाता,

आरती जय कुरसी माता।।


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कितने ही आयोग बिठाओ, तुम पर आंच न आवै।

भाई-भतीजा, बेटा-बीवी, सबके सब सुख पावैं।।

खोखला देश हुआ जाता,

आरती जय कुरसी माता।।

हाहाकार, ढेर-सा कर्जा, हमको दी सौगातें,

सत्ता-जनता बीच फासला, बगुला भगत बढ़ाते।

सारथी तेरा मतदाता,

आरती जय कुरसी माता।।


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हाथ तुम्हारे एटम बम है, संग मिसाइल राजै।

लछमीजी का वाहन अपने, दल-बल सहित बिराजै।।

मनोबल चौपट हो जाता,

आरती जय कुरसी माता।।

एक हाथ जादू की लकड़ी, दूजा खप्पर धारी।

तेरे दरवाजे पर मैया, होती मारा-मारी।।

काइयांपन तेरा भाता, आरती जय कुरसी माता।

जगत सब तेरी शरण आता, आरती जय कुरसी माता।