गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By WD

जानिए-कब जरूरी है मिलना गायनोकोलॉजिस्ट से

जानिए-कब जरूरी है मिलना गायनोकोलॉजिस्ट से - gynecological diseases
प्रस्तुति : निवेदिता भारती 
 
शालिनी के पीरियड पूरे दस दिन लेट होने पर उसे चिंता होने लगी। अभी वह सिर्फ 17 साल की है और ऐसी समस्या आने पर मम्मी भी थोड़ी परेशान सी दिखी। उन्होंने कहा हम डॉक्टर के पास चलते हैं। शालिनी ने अपनी समस्या भाभी स्मिता को बताई जिस पर स्मिता ने कहा : शालिनी स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाने में इतना सोचने की जरूरत नहीं है। आजकल स्कूलों में बताया जाने लगा है कि मेंस्ट्रुएशन (menstruation)  तुम्हारे युटेरिन (uterine) की हर महीने वाली झड़ने वाली परत है। यह दिखाता है कि तुम्हारा रिप्रोडक्टिव सिस्टम (प्रजनन तंत्र) सही ढंग से काम कर रहा है। 

 
इसके बाद अपनी सासु मां से मुखातिब होते हुए स्मिता ने कहा : मम्मी स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाने के लिए किसी समस्या के बढ़ जाने का इंतजार नहीं करना चाहिए। बल्कि समस्या के शुरूआती दौर में ही डॉक्टर को दिखा लेने से इलाज भी हो जाता है और तसल्ली भी। हम महिलाओं से जुड़ी कुछ ऐसी समस्याएं हो सकती है जो हम अक्सर नजर अंदाज कर देते हैं और डॉक्टर के पास नहीं जाते। हर महिला का शरीर अलग होता है और इसी वजह से पीरियड या मेंस्ट्रुएशन में भी अलग लक्षण सामने आ सकते हैं। कुछ महिलाओं के पीरियड कम समय में ही खत्म हो जाते हैं और कुछ के ज्यादा समय तक चलते हैं। कुछ को बहुत कम स्त्राव होता है और कुछ स्त्रियों में ज्यादा मात्रा में स्त्राव होता है। हालांकि समस्याएं ज्यादातर पीरियड से जुड़ी होती हैं परंतु इसके अलावा भी हमारे रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़े कुछ ऐसे कारण हो सकते हैं जब हमें डॉक्टर के पास जाना पड़ सकता है। मैं आपको बताती हूं कि मेरी अपनी सहेलियों के साथ अलग अलग किस्म की दिक्कतें आई और उन्हें डॉक्टर के पास जाना पड़ा। 
 
विदेश में तो नियमित तौर पर लड़कियां और महिलाएं स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाती हैं। हमारे देश में सबसे अधिक गर्भवती महिलाएं डॉक्टर के पास जाती हैं परंतु इसके अलावा भी कई मुद्दे हो सकते हैं जब हमें डॉक्टर के पास जाना चाहिए। 

1. अनियमित पीरियड : शालिनी को दस दिन पहले पीरियड आ जाने चाहिए थे। जब हमारे पीरियड पहली बार शुरू होते हैं उसके कुछ सालों के भीतर हमें हमारे पीरियड के नेचर का अंदाजा हो जाता है। जैसे हमारे पीरियड इतने दिन तक चलेंगे और इतनी मात्रा में होते हैं और इतने दिन के अंतराल में आने चाहिए। जैसे ही कुछ अलग होता है जैसा अपनी शालिनी के साथ हुआ हमारी चिंता बढ़ जाती है। औसतन किसी भी महिला का पीरियड आने का अंतराल 28 दिन का होता है और यह 3 से 4 दिन तक होता है। परंतु महिलाओं में बल्कि मेरी सहेलियों में ही पीरियड अलग प्रकार के होते थे। 

 
मेरी सहेली श्वेता के पीरियड एक बार पूरे एक महीने लेट हो गए। इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं होती परंतु अगर ऐसा अक्सर होने लगे तो डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। यह हमारी प्रजनन तंत्र में पैदा हो चुकी किसी समस्या की दस्तक है। अगर अक्सर किसी के पीरियड लंबे अंतराल के बाद आ रहे हैं तो इसके पीछे अचानक से ज्यादा वजन घटना, खून की कमी, खानपान बिगड़ जाना, कोई अलग बीमारी, कोई दवाई या ड्रग, ज्यादा यात्रा, सूट न होने वाली बर्थ कंट्रोल (प्रजनन नियंत्रक) दवाईयां, बहुत ज्यादा थका देने वाली दिनचर्या, मानसिक दबाव, स्तनपान और दमा भी हो सकता है।  
 
इसके अलावा पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम), मेनोपोज (पीरियड खत्म होना) या हॉर्मोन अनियंत्रित हो जाना होते हैं। इसलिए डॉक्टर को दिखाकर सही कारण पता लगाना बेहद जरूरी है। 
 
2. युरिनरी समस्याएं : मेरी एक और सहेली सीमा को बार-बार बाथरूम जाना पड़ता था। इसी चक्कर में उसने डॉक्टर को दिखाया। पता चला कि उसे युरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (मूत्र पथ के संक्रमण) है। इस इंफेक्शन का एक और लक्षण होता है जिससे कम मात्रा में पेशाब आती है, करते समय दर्द होता है और कभी-कभी जलन भी होने लगती है। पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है और पेशाब बदबूदार हो जाती है। इसी समस्याएं आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 

3. असामान्य वाइट डिस्चार्ज (सफेद पदार्थ निकलना) : लगभग सभी महिलाओं में थोड़ा सफेद पदार्थ गुप्तांग (वजाइना) से निकलता है जो कि बिल्कुल सामान्य है। इसके द्वारा हमारे वजाइना और सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) की सफाई होती है। इसकी मात्रा बढ़ जाती है जब महिलाओं में ऑव्यूलेटिंग (अण्डोत्सर्ग करना ovulating) होती है। इसके अलावा स्तनपान कराने वाली और भावनात्मक बदलाव महसूस करने पर भी सफेद पदार्थ बढ़ जाता है। 

मेरी सहेली श्रुति को डॉक्टर के पास जाना पड़ा क्योंकि उसके सफेद पदार्थ का रंग बदल गया, ज्यादा मात्रा में होने लगा था और बहुत बदबूदार हो गया था। उसे बैक्टेरिया और यिस्ट इंफेक्शन था जो इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो गया। इसके अलावा सफेद पदार्थ की मात्रा ऐसे इंफेक्शन से भी बढ़ सकती है जो पति से हुआ हो। ऐसे इंफेक्शन संक्रमित होते हैं। बर्थ कंट्रोल दवाईयां, सर्विकल कैंसर और पीरियड खत्म होना (मेनोपोज) भी इसके कारण हो सकते हैं। डॉक्टरी सलाह बेहद जरूरी है।   
 
4. अनियंत्रित रक्त रिसाव : वजाइना से ऐसे समय में खून आना जब पीरियड का समय न हो किसी बडी समस्या के आगमन की सूचना हो सकती है। तुंरत ही डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए। संबंध बनाने के बाद खून दिखना युटेरिन (गर्भाशय) की परत में हल्के घाव के कारण हो सकती है या अन्य कोई कारण भी इसकी वजह बन सकता है। इस तरह खून दिखना युटेरिन पोलेप्स (uterine polyps), फिब्रॉइड्स (fibroids), इंफेक्शन और सर्विकल या युटेरिन कैंसर की वजह से हो सकते हैं। समस्या बहुत गंभीर हो जाती है अगर इसमें लापरवाही बरती जाए। खासतौर से गर्भवती महिलाओं को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 

5. असमान्यतौर पर अचानक से रक्त का बहाव बढ़ जाना : अगर पीरियड के दौरान भी बहुत ज्यादा स्त्राव होने लगे तो बात चिंता की हो सकती है। यह हार्मोन में बदलाव, फिब्रॉइड्स, पोलेप्स, एडोनोम्योसिस, पेल्विक में सूजन और एंडोमेट्रीओसिस के कारण हो सकता है। इससे शरीर में थायराइड, एनीमिया, लिवर और किडनी की बीमारियों का भी पता चलता है। मेरी सहेली फातिमा को डॉक्टर ने ब्लैकस्ट्रेप मोलेसेस दिए थे जिसमें लाल रक्त सेल को बढ़ाने की क्षमता होती है। ज्यादा खून बह जाने पर उसकी पूर्ति करना जरूरी हो जाती है। 

6. बहुत ज्यादा पसीना आना : 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में अगर अचानक से ज्यादा पसीना आने की समस्या सामने आए तो यह डॉक्टर के पास जाने का इशारा हो सकता है। चाहे आप जाग रहीं हो या सो रहीं हो ज्यादा पसीना आना आपके पीरियड खत्म होने की यानी मेनोपोज अवस्था की दस्तक हो सकता है। इसके अलावा अनियमित पीरियड, वजाइना में सूखापन, मूड में बदलाव और नींद में कमी भी मेनोपोज के लक्षण हो सकते हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ जांच के बाद सही कारण और सही इलाज बता देंगी और आप हो जाएंगी बिल्कुल तंदुरूस्त।

7. स्तन में गठान : स्तन कैंसर के बढ़ते केस देखकर सभी को सावधान रहने की जरूरत है। मेरी एक सहेली अमिता ने कुछ गठान महसूस की और तुरंत डॉक्टर से जांच करा ली उसे ब्रेस्ट कैंसर था परंतु शुरूआती दौर में इलाज ले लेने के कारण वह पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। 
 
इनमें से किसी भी समस्या को समय के साथ खुदबखुद ठीक होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। जितनी जल्दी हम इलाज लेंगे समस्या के पूरी तरह से ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। 

 
''चलो शालू जल्दी से डॉक्टर का अपॉइंटमेंट ले लेते हैं। हम तीनों साथ चलेंगे। डॉक्टर के पास जाने से पहले हमें कुछ जरूरी चीजों की जानकारी होनी चाहिए। डॉक्टर तुम्हारे पीरियड के विषय में कुछ सवाल करेगी जैसे आखिरी बार कब आए थे या कितने दिन चले। इसकी हमें जानकारी रखनी चाहिए। अगर हम डॉक्टर के सवालों के जवाब नहीं दे पाते तो इलाज बेहद मुश्किल हो सकता है।
 
इसके अलावा अगर तुम डॉक्टर से कुछ पूछना चाहती हो तो अपने सवाल तैयार रखो। एक डायरी में फैमिली की हेल्थ हिस्ट्री लिखना चाहिए। जिसमें ऐसी जानकारियां हो जो इलाज में मददगार साबित हो सकें। खुलकर अपनी समस्याएं बताओ और डॉक्टर जो पूछे उसका सही जवाब दो। कोई बात छुपाने से मरीज का ही नुकसान होता है। विवाहित महिलाओं को डॉक्टर के पास जाने के पहले संबंध नहीं बनाने चाहिए। अब चलो जल्दी से अपॉइंटमेंट लेते हैं और देखते हैं डॉक्टर क्या बताती है तुम्हारी इस समस्या के बारे में।''  

यदि आप भी शालिनी की तरह डॉक्टर के पास जाने में शर्माते हैं तो आपका रोग बढ़ सकता है अगर आपको भी उपरोक्त वर्णित परेशानी में से कोई भी दिक्कत है तो समय आ गया है कि आप स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें....