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अनजाने में कहीं आप 'अलक्ष्मी' का पूजन तो नहीं कर रहे? जरूर पढ़ें

अनजाने में कहीं आप 'अलक्ष्मी' का पूजन तो नहीं कर रहे? जरूर पढ़ें - Laxmi and Alaxmi story in hindi
मां लक्ष्मी जगतमाता हैं और इस वर्ष रविवार, 30 अक्टूबर 2016 को दीपावली मनाई जाएगी और इनका पूजन किया जाएगा। इनसे जुड़ी कुछ आवश्यक बातों को अगर जान लिया जाए तो पूजन से अत्यधिक लाभ प्राप्त हो सकता है। आइए, इन बातों को समझने का प्रयास करते हैं। 
ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी की उत्पति समुद्र मंथन के समय हुई थी और इन्होंने भगवान श्री हरिविष्णु को अपना वर चुना था। एक रोचक तथ्य यह भी है कि इनकी उत्पति से पहले इनकी ज्येष्ठा बहन की भी उत्पति हुई थी जिन्हें 'अलक्ष्मी' के नाम से जाना जाता है। 'अलक्ष्मी' को 'ज्येष्ठा लक्ष्मी' के नाम से भी जाना जाता है और इनका स्वरूप लक्ष्मी से विपरीत बताया जाता है। 
 
लक्ष्मी जिन्हें हम विष्णुपत्नी, सद्लक्ष्मी, महालक्ष्मी आदि नाम से जानते हैं उनसे हमें शौर्य, विजय, वर, धन, सुख-समृद्धि आदि प्राप्त होता है। इसके विपरीत अलक्ष्मी कष्ट, क्लेश, ताप, दरिद्री, अपयश आदि की देवी बताई गई हैं।

ऐसी मान्यता है कि अलक्ष्मी की उत्पति के समय इन्हें किसी भी देवी या देवता ने नहीं अपनाया था और भगवान विष्णु के आदेश पर इन्होंने अपना वास ऐसे स्थान को बनाया, जहां पर लोग आपस में लड़ते हों, जहां पर स्त्री का सम्मान न हो, जहां पर घर में माता और पिता का सम्मान न होता हो, जिस स्थान पर द्युत क्रीड़ा होती हो और जहां पर मदिरापान होता हो। 
मान्यता यह है कि लक्ष्मी का वाहन उल्लू है जबकि सत्य यह है कि उनका वाहन गरूड़ है। अलक्ष्मी का वाहन उल्लू बताया गया है और हम लोग दीपावली के समय मां लक्ष्मी का आवाहन उल्लू की सवारी के साथ करते हैं। ऐसा करने पर सद्लक्ष्मी के स्थान पर ज्येष्ठा लक्ष्मी का आवाहन हो जाता है और हमें अपनी की हुई पूजा का फल नहीं मिल पाता।

मां लक्ष्मी का आवाहन भगवान विष्णु के साथ गरूड़ की सवारी पर करना चाहिए। ऐसा करने से आपके निवास स्थान पर मां लक्ष्मी का आगमन होगा और आपको धन, सुख, समृद्धि प्राप्त होगी। 
 
अलक्ष्मी का एक स्वरूप माता धूमावती से भी जोड़कर देखा जाता है। माता धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक प्रमुख महाविद्या मानी गई हैं। इनकी उपासना बहुत जटिल और दुर्गम मानी गई है और हर व्यक्ति विशेष के लिए सुलभ नहीं है। 
 
अलक्ष्मी से हमेशा यह प्रार्थना की जानी चाहिए कि इनका प्रभाव हमारे जीवन में न्यूनतम रहे और सद्लक्ष्मी का पूर्ण आशीर्वाद बना रहे। श्री कनकधारा स्तोत्र और श्रीसूक्तं का पाठ महालक्ष्मी को अतिप्रिय है इसलिए दीपावली के दिन इनका पाठ अवश्य करना चाहिए। 
 
इस दीपावली में उपर्युक्त बातों का ध्यान रखें और लक्ष्मी पूजन का पूर्ण लाभ प्राप्त करें। 
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