गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
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Written By रवींद्र व्यास

नन्हे मन की कोमल बातें

इस बार बच्चों के ब्लॉग 'नन्हा मन' की चर्चा

blog charcha | नन्हे मन की कोमल बातें
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ब्लॉग की दुनिया लगातार फैल रही है। कई विषयों पर ब्लॉग लिखे जा रहे हैं। कई ब्लॉग तो अपने को किसी खास विधा पर केंद्रित किए हुए हैं। जैसे संगीत, फिल्म या कविता पर। इस तरह के ब्लॉग का चलन लगातार बढ़ रहा है। अब ब्लॉगर अपने को विधा विशेष या विषय विशेष को लेकर अधिक एकाग्र कर रहे हैं।

ऐसा करते हुए वे दूसरे का सहयोग भी ले रहे हैं ताकि ब्लॉग पर एक विधा या विषय पर अलग अलग दृष्टिकोणों से अलग शैलियों में सामग्री मिल सके और वे अधिक पठनीय बन सकें। इधर तमाम तरह के ब्लॉगों ने ध्यान खींचा है लेकिन कुछ ब्लॉग ऐसे हैं जिन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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ऐसा ही एक ब्लॉग है नन्हा मन। नाम से ही जाहिर है कि यह बच्चों के लिए है। इसके ब्लॉगर हैं सीमा सचदेव। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस तरह से हिंदी में बच्चों के लिए अच्छे बाल साहित्य का अभाव है उसी तरह बच्चों के लिए भी अच्छे ब्लॉग भी नहीं के बराबर हैं। आज का बच्चा पहले से अधिक उत्सुक है, जिज्ञासु है और उसकी कई चीजों में विषयों में दिलचस्पी है। लेकिन दुर्भाग्य से उसकी दिलचस्पियों को ध्यान में रखकर साहित्य बहुत ही कम लिखा जा रहा है। अधिकतर पारंपरिक ही है।

यह ब्लॉग भी बच्चों के लिए कोई बहुत अलग तरह की सामग्री तो नहीं देता लेकिन इतना तो हुआ है कि ब्लॉग की दुनिया में कोई बच्चों को लेकर चिंतित है औऱ उनके लिए कुछ रोचक औऱ पठनीय सामग्री के साथ अपने ब्लॉग को बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है। 'नन्हा मन' ब्लॉग को इसी दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

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सबसे पहले इसकी डिजाइन पर बात करें। इसका हैडर सुंदर बनाने की कोशिश की गई। इसमें हंसते-खिलाते, झूमते नाचते बच्चों के सुंदर कार्टून और इलस्ट्रेशन लगाए गए हैं। जाहिर है यह बच्चों को लुभा सकता है। इसके बाएँ एक खूबसूरत हिलता-डुलता चित्र लगाया गया है जिसमें एक लड़का औऱ लड़की नदी किनारे बैठे दूर कहीं देख रहे हैं। इसका शीर्षक लगाया है 'वोह दिन वोह मौज'।

जाहिर है यह बचपन के सुनहरे-सपनीले और निर्भय-निर्द्वंद्व दिनों की याद दिलाता है औऱ यह भी बताता है कि सचमुच बचपन के दिन कितने सुंदर होते हैं। बचपन को यूँ ही जाया नहीं होने दिया जाना चाहिए लिहाजा उनके स्वस्थ मनोरंजन और अच्छी शिक्षा के लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए।

यह ब्लॉग अपनी सामग्री से यही जताने की एक आत्मीय और विनम्र कोशिश करता है। इसमें कविताएँ हैं, कहानियाँ हैं, नैतिक शिक्षा की बातें हैं और एनिमेशन में कहानियाँ हैं। उदाहरण के लिए 'सोने का अंडा' कहानी को एनिमेशन में दिखाया-सुनाया गया है। इसके अलावा कविताएँ खूब हैं। संजीव सलिल की कविता 'भारत-माता' दी गई है, जिसमें गुणगान है।

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इसी तरह छोटी नदी कविता दी गई है औऱ इसके साथ बहुत ही सुंदर फोटो है जिसमें नदी में बच्चा नाव से खेलता दिखाया गया है। इसके अलावा बंदर की टोपी और चिंकी, पिंकी मिंकी कविता दी गई है। यही नहीं कविताएँ सवाल-जवाब के रूप में भी दी गईं हैं। इसके अलावा आज का विचार के तहत नैतिक शिक्षा पर बल दिया गया है।

लेकिन इसकी खूबी यह भी है कि बजाय भाषण देने के इसे सहज-सरल कविता के रूप में दिया गया है। मिसाल के तौर पर इस कविता पर गौर किया जा सकता है-

फूल कभी नहीं तोडिए,
इनमें ईश्वर वास
सौन्दर्य से मन मोहें,
फैले मुग्ध सुबा

फैले मुग्ध सुबास,
करें सबको आकर्षित
नाचे मन का मयूर,
शान्त हो जाए चित्त
तोडोगे जो फ़ूल,
तो मिटेगा उसका मूल
शोभा वही देता है,
जो डाली पर फ़ूल

इस ब्लॉग की खासियत यह है कि इसे कुछ अच्छे ब्लॉगरों का सहयोग भी मिला हुआ है जो समय-समय पर इस ब्लॉग पर अपनी रचनाएँ पोस्ट करते रहते हैं। इनमें महेंद्र भटनागर, यूसुफ किरमानी, कवि कुलवंत, निर्मला कपिला, रावेंद्रकुमार रवि, मीनाक्षी, मनु, सीमा सचदेव, जाकिर अली रजनीश आदि शामिल हैं। इसलिए इसमें विविधता है और कविता, कहानी से लेकर विज्ञान की बातें भी हैं।

ये रहा इस ब्लॉग का पता- http://nanhaman.blogspot.com