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Written By WD

विनोद मेहता : पत्रकारिता के एक अध्याय का अंत

विनोद मेहता : पत्रकारिता के एक अध्याय का अंत - Vinod Mehta passes away
राकेश कुमार  
 
देश की प्रतिष्ठित पत्रिका आउटलुक के संपादक और संस्थापक विनोद मेहता का आज निधन हो गया। विनोद मेहता के निधन से पूरा मीडिया, राजनीति और बॉलीवुड समाज पूरी तरह हैरान है। सभी ने उनके निधन को पत्रकारिता जगत के एक अध्याय के अंत होने जैसा बताया है। देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी उनके निधन पर शोक जताया है। 


 
देश के प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में से एक द पायोनियर और आउटलुक जैसे समाचार-पत्र पत्रिकाओं के संपादक रह चुके विनोद मेहता का जन्म 1942 में पाक अधिकृत पंजाब क्षेत्र के रावलपिंडी के एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी स्नातक तक की पढ़ाई लखनऊ से पूरी की और 1974 में लखनऊ से प्रकाशित होने वाली पुरुषों की पत्रिका डेबूनियर में सहायक संपादक के रुप में अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की। 
 
विनोद मेहता ने 1979 में दिल्ली से प्रकाशित अंग्रेजी समाचार द पायोनियर की वरिष्ठ पत्रकार सुनीता पॉल से शादी कर ली। मेहता ने अपने पत्रकारिता की शुरुआती दिनों में ही अपनी पत्रकारिता व लेखनी से सबका मन मोह लिया था। उन्होने डेबूनियर से पहले 1971 में ‘बाम्बे: ए प्राईवेट व्यू’ नामक पुस्तक लिखी। इसके बाद उन्होने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 
 
मेहता ने संडे ऑब्जर्वर, इंडियन पोस्ट, द पायोनियर और आउटलुक जैसे समाचार-पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कर उन्हें एक ऐसी ऊंचाई पर पहुंचाया जिस पर आज पूरे मीडिया को नाज है। 
 
विनोद मेहता के निधन का समाचार सुनते ही कई वरिष्ठ पत्रकारों ने के माध्यम से शोक जताया है। 
 
देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि वे एक बहुत बड़े पत्रकार थे, उनके निधन से हमे काफी दुख पहुंचा है। 
 
वरिष्ठ पत्रकार तरुण विजय का कहना है कि विनोद मेहता होली की रंगों के साथ ऐसे गुम हो गए, जो कभी वापस नहीं आने वाले है। 
 
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि उन्होंने हमेशा सिद्धांतों के साथ पत्रकारिता की। वे हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। 
 
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने भी उनके निधन पर काफी शोक जताया है और परिवार के साथ संवेदना प्रकट की। वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता का कहना है कि आर्दशों, सिदांतों और बिना डर के पत्रकारिता करने वाले एक महान पत्रकार को हमने खो दिया है, जो हमेशा याद आएगा। 
 
डॉ. एस.वाई. कुरैशी का कहना है कि हम दोनों काफी अच्छे दोस्त थे। उनके जाने के बाद मैं काफी अकेला हो गया हूं।